Sunday 23 September 2018

भारत में 2005-2016 के बीच 27 करोड़ लोग हुए गरीबी से बाहर: संयुक्त राष्ट्र


संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2005-06 से 2015-16 के बीच भारत में 27.1 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। यह एक आशाजनक संकेत है जो कि गरीबी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई जीती जा सकती है

2018 बहुआयामी वैश्विक गरीबी सूचकांक (एमपीआई) रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) और ऑक्सफोर्ड गरीबी एवं मानव विकास पहल (ओपीएचआई) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया गया है

रिपोर्ट से संबंधित मुख्य तथ्य
  • भारत में गरीबी घटने की दर सबसे ज्यादा बच्चों, गरीब राज्यों, आदिवासियों और मुस्लिमों के बीच है
  • बतौर रिपोर्ट, इन दस वर्षों के भीतर गरीबी दर 55 फीसदी से घटकर 28 फीसदी हो गई है. रिपोर्ट के अनुसार देश में गरीबी की दर लगभग आधी रह गई है
  • इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर में 1.3 अरब लोग बहुआयामी गरीबी में जीवन बिता रहे हैं, जोकि एमपीआई में परिकलित किए गए 104 देशों की कुल आबादी का एक-चौथाई हिस्सा है
  • रिपोर्ट में कहा गया कि बहुआयामी गरीबी में जीवन बिता रहे 1.3 अरब लोगों में करीब आधे (46 फीसदी) लोग घोर गरीबी का सामना कर रहे हैं
  • यूएनडीपी के प्रबन्धक अचीम स्टेनर ने कहा की हालांकि गरीबी का स्तर, खासतौर से बच्चों में स्तब्ध कर देनेवाला है, इसलिए इससे निपटने के प्रयासों में तेजी लाने की जरूरत है
  • वर्ष 1900 के बाद से भारत ही नहीं बल्कि दक्षिण एशिया के अन्य देशों में लोगों के जीवन जीने की प्रत्याशा 4 साल बढ़ी है और भारत में लोगों के जीवन जीने की प्रत्याशा 11 साल बढ़ी है. यह बहुआयामी गरीबी से सुधार के लिए अच्छा है

सबसे ज्यादा और सबसे कम गरीबी

रिपोर्ट में कहा गया, भारत में सबसे ज्यादा गरीबी चार राज्यों में है. हालांकि भारत भर में छिटपुट रूप से गरीबी मौजूद है, लेकिन बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में गरीबों की संख्या सर्वाधिक है इन चारों राज्यों में पूरे भारत के आधे से ज्यादा गरीब रहते हैं, जोकि करीब 19.6 करोड़ की आबादी है

रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली, केरल और गोवा में गरीबों की संख्या सबसे कम है