देश के सबसे पुराने न्यूक्लियर रिएक्टर ‘अप्सरा’ को अधिक क्षमता के साथ फिर से शुरू किया गया है। इस रिएक्टर की मरम्मत कर इसे नया रूप देने के लिए 2009 में स्थाई तौर पर बंद कर दिया गया था। भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) ने बयान जारी कर कहा कि रिएक्टर को और बेहतर बनाने के बाद 10 सितंबर 2018 को फिर से शुरू किया गया। अप्सरा रिएक्टर के इस मॉडल को ‘अप्सरा-अपग्रेडेड’ (अप्सरा-यू) के नाम से जाना जायेगा।
भारत के परमाणु कार्यक्रम के जनक डॉ होमी जे भाभा के अनुसार, “अनुसंधान रिएक्टर देश के परमाणु कार्यक्रम की रीढ़ होते हैं।”
इसी बात का महत्व समझते हुए अप्सरा रिएक्टर को ट्रोमबे कैंपस में अगस्त 1956 में आरंभ किया गया था।अप्सरा एक हल्के स्विमिंग पूल जैसा रिएक्टर है जिसकी अधिकतम क्षमता एक मेगावाट थर्मल है। यह रिएक्टर एल्यूमीनियम मिश्रित प्लेटों के रूप में समृद्ध यूरेनियम को प्रयोग करता है। लगभग 54 वर्षों की सेवा के बाद इसे 2009 में बंद कर दिया गया था।
अप्सरा-यू अनुसंधान रिएक्टर
- अप्सरा अस्तित्व में आने के बाद 62 साल बाद उच्च क्षमता का यह स्विमिंग पूल आकार का रिएक्टर दोबारा आरंभ हुआ है।
- रिएक्टर, स्वदेशी, समृद्ध यूरेनियम (LEU) से बने प्लेट ईंधन तत्वों का उपयोग करता है।
- यह रिएक्टर चिकित्सा क्षेत्र के लिए स्वदेशी उत्पादन या रेडियो-आइसोटोप को लगभग 50 प्रतिशत तक बढ़ा देगा।
- इस रिएक्टर का इस्तेमाल विकिरण क्षति के अध्ययन, फोरेंसिक शोध, न्यूट्रॉन रेडियोग्राफी और परिरक्षण प्रयोगों के लिए होता है।
- इस रिएक्टर की अधिकतम क्षमता एक मेगावाट थी जिसका उन्नयन कर इसे 2 मेगावाट किया गया है।
- इस अनुसंधान रिएक्टर द्वारा भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की स्वास्थ्य सुविधाओं, विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान के लिए जटिल सुविधाओं के निर्माण करने की क्षमता पर फिर से जोर दिया जायेगा।