वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेलुलर का विलय 31 अगस्त 2018 को पूरा हो गया। आइडिया और वोडाफोन के विलय के बाद 408 मिलियन सब्सक्राइबर्स के साथ ये देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बन गई है।
वोडाफोन-आईडिया के विलय के बाद कंपनी का नया नाम 'वोडाफोन आईडिया लिमिटेड' रखा गया है।वोडाफोन और आईडिया ब्रांड दोनों ही पहले की तरह काम करेंगे।.
इस कंपनी के आने से भारतीय टेलीकॉम मार्केट में प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ जाएगी। रिलायंस जियो के आने से टेलीकॉम मार्केट में प्रतिस्पर्धा पहले से काफी बढ़ गई और अब वोडाफोन-आईडिया के विलय के बाद इसके और बढ़ने की उम्मीद है।
नए बोर्ड का गठन
इस विलय के लिए नए बोर्ड का गठन किया गया है, जिसमें 12 निदेशक (छह स्वतंत्र निदेशक शामिल) और कुमारमंगलम बिड़ला चेयरमैन होंगे। निदेशक मंडल ने बालेश शर्मा को सीईओ (मुख्य कार्यपालक अधिकारी) नियुक्त किया है।
वोडाफोन आइडिया लिमिटेड
- इस नई कंपनी के पास भारत के रिवेन्यू मार्केट शेयर का 32.2 फिसदी हिस्सा है और ये 9 दूरसंचार सर्किल में पहले पायदान पर है।
- इसके पास 17 लाख रिटेल आउटलेट के साथ 3.4 लाख साइटों और वितरण नेटवर्क का ब्रॉडबैंड नेटवर्क होगा।
- कंपनी द्वारा जारी स्टेटमेंट के अनुसार, विलय से 14,000 करोड़ रुपये की वार्षिक सिनर्जी उत्पन्न होने की उम्मीद है, जिसमें 8,400 करोड़ रुपये के ओपेक्स सिनर्जी शामिल हैं, जो लगभग 70,000 करोड़ रुपये के नेट प्रेजेंट वैल्यू के बराबर है।
- विलय के बाद आइडिया सेल्यूलर की चुकता शेयर पूंजी बढ़कर 8,735.13 करोड़ रुपये होगी।
- वोडाफोन का नए कारोबार में 45.1 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। वहीं आदित्य बिड़ला समूह की 4.9 प्रतिशत हिस्सेदारी के लिये 3,900 करोड़ रुपए के भुगतान के बाद 26 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी।
- विलय के बाद बनी इकाई के पास 3,40,000 ब्राडबैंड साइट होंगे जिसके दायरे में 84 करोड़ भारतीय हैं।
आइडिया सेल्युलर
आइडिया सेल्युलर भारत के विभिन्न राज्यों में एक वायरलेस टेलीफोन सेवाओं को संचालित करने वाली एक कंपनी है। इसका शुभारंभ 1995 में टाटा, आदित्य बिड़ला समूह और एटी एंड टी के बीच एक संयुक्त उद्यम के रूप में हुआ था।
वोडाफोन समूह
वोडाफोन समूह दुनिया की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनियों में से एक है। यह कंपनी इंग्लैंड में वर्ष 1991 में बनी जिसके बाद धीरे धीरे यह अपना कारोबार अन्य देशों में फैलाने लगा। भारत में व्यापार शुरू करने और सभी प्रकार के व्यापारिक अधिकार के लिए इसने हच एस्सार नामक कंपनी को खरीद लिया। इसके बाद इसने इसका नाम बदल कर इसे वोडाफ़ोन कर दिया। इसे बाद में वोडाफोन इंडिया एलटीडी नाम से पंजीकृत करा दिया।