यूपीएससी से IAS या IPS इंसान ही बनते हैं। कई सवाल जो हम अप्रेन्टिस को असमंजस में डालते आये है, कई नये अप्रेन्टिस दोस्तों ने साईट पर पूछा कि आईएएस बनने के लिए इंसान के अन्दर क्या होना चाहिए, क्या IAS सिर्फ अच्छे पढ़ने वाले, मेधावी विद्यार्थी ही बन सकते हैं जिनका पास्ट अकेडमिक रिकॉर्ड अच्छा रहा हो?
ऐसा बिल्कुल नहीं है। आप भी आईएएस बन सकते हैं। यह बिल्कुल मैटर नहीं करता कि आपने 10वीं या 12वीं में क्या स्कोर किया है …. भले आपने ग्रेजुएशन थर्ड डिवीजन से पास की हो …. पास्ट पास्ट होता है। पास्ट को भूलकर आपको आगे देखना चाहिए। यदि आप पास्ट की गलतियों को देखकर अपने आज को ख़राब कर रहे हैं तो आपको अपने भविष्य में अन्धकार ही अन्धकार मिलेगा। इसलिए अच्छा है कि पीछे मुड़ कर कभी न देखें।
पढ़ाई के दौरान एकाग्रचित कैसे हों? क्या आपने अपने शहर में घोड़ा को चलते देखा है?
घोड़े के दोनों आँखों के बगल में चमड़े की पट्टी लगा दी जाती है। ऐसा इसीलिए क्योंकि वह सीधा देख पाए। चलते वक्त उसके बगल में होने वाली सड़क की गतिविधियों पर उसका ध्यान न जा पाए और वह सिर्फ सीधा देख कर अपने लक्ष्य की ओर चले। ऐसा विद्यार्थी जीवन में होना चाहिए। आप अपने अगल-बगल की गतिविधियों पर ध्यान मत दें। कौन आपके बारे में क्या कह रहा है, आपके बारे में क्या विचार रखता है, आपके फूफा आपका मजाक उड़ाते हैं, आपके पड़ोसी आपके घर पर बैठने को लेकर तंज कसते हैं …. यदि आपका ध्यान इन सब पर चला गया तो आप अपने लक्ष्य को पाने से चूक जायेंगे।
आप सफल हो जायेंगे तो यही लोग आपको बधाई भी देंगे। दूसरों को कहते फिरेंगे कि देखिए मेरा भतीजा/भाँजा आईएएस/आईपीएस है। अन्दर ही अन्दर वे भले ही कुढ़ते रहें पर शान से आपकी तारीफ दूसरों के सामने करेंगे ताकि उनका स्टेटस भी ऊँचा हो। इसीलिए इन मामूली फैक्टर से अपने जीवन को नष्ट मत कीजिए। लोगों को कहते रहने दीजिए, मैं भी आप ही लोगों में से यूँही एक तरह से इसी तरह सुनता आया हूँ बेफिक्र रहिये बेवाक रहिये हमारी तरह।
UPSC की परीक्षा कोई बैंकिंग या SSC की परीक्षा नहीं है। यह एक high-level परीक्षा है। इनके सवाल अच्छे-अच्छों की छुट्टी कर देते हैं। आपने लाख तैयारी की हो, 24 घंटे ही क्यों न पढ़ लिया हो, पर आप जनरल नॉलेज के 200 के 200 सवाल कभी सही नहीं कर सकते जैसा CAT या अन्य MBA परीक्षा में लोग कर लेते हैं। इसलिए आपकी मंजिल टेढ़ी-मेढ़ी है और न ही इसका कोई शोर्ट-कट है। हम अपनी मंजिल तभी पूरी कर पायेंगे जब हम स्वयं में यह दृढ़संकल्प करें कि हम किसी भी बाहरी नकारात्मक शक्तियों को अपने आस-पास भी नहीं फटकने देंगे और दिन-रात एक कर के अपने लक्ष्य की ओर बढ़ेंगे।
आईएएस की तैयारी के लिए एक साल पर्याप्त माना जाता है। वैसे ये विद्यार्थी के क्षमता पर निर्भर करता है। किसी के लिए 6 महिने की पढ़ाई भी काफी है और किसी के लिए 2 साल की पढ़ाई भी काफी नहीं।पर इसमें निराश होने की जरुरत नहीं। क्षमता को बढ़ाया और घटाया जा सकता है। आप ठान लें कि आज से और अभी से आप अगले साल तक रोजाना 6 घंटे की पढ़ाई करेंगे तो आप इस टेढ़े-मेढ़े सफर को सरलता से पार कर जायेंगे। पर ऐसा अक्सर होता नहीं. हर लोगों का मोटिवेशन लेवल अलग-अलग होता है और यही मोटिवेशन लेवल हार और जीत का फैसला करता है। आप हो सकता है आज यह आर्टिकल पढ़ कर कसम खा लें कि मैं रोजाना आईएएस की पढ़ाई के लिए अगले मेंस तक 6 घंटे दूंगा …. और यह भी हो सकता है कि आप आज और कल तक अपने संकल्प पर कायम भी रहें …. मगर तीसरे दिन आते-आते तक .… कुछ ऐसा होगा कि आप फिर वापस वहीं पर चले जायेंगे जहाँ पहले थे।सब छूट जायेगा. किसी की गर्लफ्रेंड नाराज हो जाएगी, कभी व्हाट्सएप गुनगुनाने लगेगा, कभी पिताजी की डांट पड़ने से उदास हो जाओगे …. कुछ न कुछ ऐसा हो ही जायेगा कि आप अपने लक्ष्य से भटक जाओगे।
वहीं जिसका सफल होना लिखा है …. वह अपने लक्ष्य पर डटा रहेगा। चाहे आँधी आए, चाहे तूफान …. चाहे गर्लफ्रेंड ने बात करना बंद कर दिया, चाहे पापा की डांट ही क्यूँ न पड़ गयी हो .... उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा।वह दिन रात एक कर देगा। इन्टरनेट पर भी वही चीजें देखेगा जो उसकी काम की हों, जो उसे प्रोत्साहित करती हों .… जो उसके नोट्स बनाने के काम आए या फिर कुछ उपयोगी बिषय वस्तु लगे अवगत रहें।
हो सकता है आपकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं .… ! मेरी भी नहीं, यही सवाल प्रारंभ में मेरा भी था, लेकिन सवाल को करने से मुझे आजतक कोई फायदा नहीं हुआ बल्कि नुकसान ही हुआ है। कईओं का यही सवाल... उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हैं, लक्ष्य की प्राप्ति के लिए वे कैसे आगे बढ़ें? हाँ, हमारे नसीब में हर कुछ नहीं होता। किसी के पास किताबें खरीदने के पैसे-ही-पैसे हैं …. हजारों की किताबें वह खरीद सकता है मगर दुर्भाग्य है कि उन्हें पढ़ने का उसके पास समय ही नहीं। किन्हीं को एक किताब को खरीदने के लिए 100 बार सोचना पड़ता है। पुरानी किताबों को बेचकर उन्हें नयी किताबें लेनी पड़ती हैं। पर सोचिए, आपके पास सिर्फ पैसे नहीं हैं, किन्हीं-किन्हीं के पास लिखने के लिए हाथ भी नहीं है, किन्हीं की आँखें कमजोर हैं, उन्हें कुछ दिखता नहीं …. !
इसलिए पीड़ा की कोई सीमा नहीं है। आप गरीब हैं, अमीर हैं .… फर्क तो पड़ता है। पर उतना नहीं जितना हम सोच लेते हैं। किताबें उधार भी ली जा सकती हैं, पुरानी किताबों को भी कम दामों में खरीदा जा सकता है …. बस दिमाग में यह रहना चाहिए कि हमें रुकना नहीं है, चलते रहना है .… चलते रहना है …. जितना कठिन संघर्ष होगा उतनी ही शानदार जीत होगी। अपनी सोंच को संकुचित नहीं कीजिए।मेरे पास ये नहीं है, वो नहीं है से अच्छा है कि जो है उसका पूर्ण प्रयोग करना सीखें। छोटी सोच और पैर में पड़ी मोच से आगे कभी नहीं बढ़ा जा सकता।
क्या दिल्ली जाना जरुरी है? सबसे बड़ा सवाल
यूपीएससी परीक्षा में सफल होने के लिए दिल्ली जाने की आवश्यकता नहीं है। आप बेशक घर बैठे भी तैयारी कर सकते हैं। घर में बैठने से बहुत बार मन टूटता है। कभी चीनी ले आओ, कभी सब्जियाँ ..…पढ़ाई के बीच-बीच में आपको कई बार उठना पड़ता है। आप अन्दर से चिढ़ जाते हैं और यही चिढ़ आपमें नकारात्मकता लाता है जो आपके लक्ष्य के लिए खतरनाक है। घर के कुछ काम कर देने से आपका बहुत सारा समय बर्बाद नहीं होता, हद से हद 2 घंटे, वह भी रोज नहीं ..… कभी-कभी। मगर इसको लेकर स्वयं को स्ट्रेस मत दें ..… पॉजिटिव सोचें …. आपको इस परीक्षा के लिए समाज के बारे में भी जानना है। याद कीजिए UPSC आपसे decision making से भी सवाल पूछती है। जैसे कि आप किसी दवाई की दुकान गए, आप गौर करते हैं कि दवाई वाले भैया ने आपको दवाई की खरीद पर रसीद नहीं दिया, कच्चा चिट्ठा दे कर पैसे ले लिए ..… तो ऐसे में आप क्या करेंगे?
(i) उसे इस बात से अवगत करायेंगे कि आपको रसीद देनी चाहिए और रसीद देने की माँग करेंगे
(ii) बगल के थाने में रिपोर्ट कर देंगे
(iii) उसे डरायेंगे-धमकाएंगे
(iv) चुप-चाप दवा ले कर घर लौट जायेंगे।
इसलिए जब तक आप समाज को जानोगे नहीं, बाहर घूमोगे नहीं .… तो इन सवालों का जवाब आप दोगे कैसे? इसलिए हर चीजों को पॉजिटिव वे में लें …. आपको कोई डिस्टर्ब भी कर रहा है तो उसमें भी कोई पोसिटिवनेस ढूँढिए। दिल्ली जाना तभी ठीक है, जब आपके पास पर्याप्त पैसे हों या आप घर में बैठ कर बिल्कुल पढ़ नहीं सकते या आपके अगल-बगल परिवार में कोई भी इस बैकग्राउंड से न हो।
मैं नया अप्रेन्टिस हूँ, शुरुआत कहाँ से करे?
बेहतर है पहले सिलेबस को ध्यान से देखिए। फिर पिछले साल आये सवालों को देखिए। उन पर रिसर्च कीजिए। यह भी एक अभ्यास है। धीरे-धीरे आप UPSC में पूछे जाने वाले सवालों के पैटर्न को अच्छी तरह समझने लगेंगे। आपको पता लग जायेगा कि UPSC डायरेक्ट सवाल नहीं पूछती …. जैसे- वर्तमान वित्त मंत्री कौन हैं, यह सब SSC लेवल के सवाल हैं। UPSC को पूछना होगा तो वह वित्त मंत्री के कार्यक्षेत्र क्या-क्या हैं .… यह पूछेगी।
इस तरह आप पैटर्न को समझेंगे। पैटर्न को जब आप समझ जायेंगे और फिर जा कर किताबों को पढ़ेगें तो आप पायेंगे कि आप किताब को अलग ढंग से पढ़ रहे हैं। आपको सिर्फ वही चीज उस किताब में दिखेगी जो आपके काम की हो। किताबों में वाक्यों पर पेंसिल से लाइन भी ड्रा करिए जो वाक्य आपको इम्पोर्टेन्ट लगे।
UPSC में लेखन अभ्यास का क्या रोल है?
आपको पढ़ने के साथ-साथ लिखने का भी अभ्यास करते रहना चाहिए क्योंकि लेखन के क्षेत्र में जब तक आपका हाँथ नहीं खुलेगा आप मेंस में अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाओगे। किसी भी टॉपिक को संक्षेप में (लगभग 200 शब्द) लिखने का रोज अभ्यास करें। यदि आपकी लेखन शैली को कोई जाँच करने वाला या व्याकरण चेक करने वाला हो तो सोने पर सुहागा है।
मैं लगातार मिल रही विफलता से टूट चुका हूँ
विफलता मिलने से टूटना स्वभाविक है। विफलता परेशान ही करती है और अन्दर से विचलित भी। पर अब तो आपके पास attempts भी कई सारे हैं। जरुरी नहीं कि हर कोई पहली या दूसरी बार में ही सफलता प्राप्त कर ले क्योंकि हमारे जीवन में भाग्य का भी रोल होता है। आपने कई बार देखा होगा कि आपका दिन कभी-कभी जरुरत से ज्यादा अच्छा जाता है और जिस दिन कुछ खराब होना रहता है तो उस दिन सब कुछ लगातार खराब ही खराब होता है। हिम्मत मत हारिये। कभी-कभी गुच्छे की आखरी चाभी भी ताला खोल देती है इसलिए डटे रहिए।
हर यूपीएससी अप्रेन्टिस के लिए यह काफी मोटीवेशन पोस्ट है सो बेहतर है आप इस पोस्ट को अधिक से अधिक "शेयर" ताकि अन्य भी इन शब्दों से रूबरू हो सके !
आपने पूरा लेख पढ़ा, धन्यवाद।