Thursday, 20 September 2018

सामाजिक आर्थिक असमानता और कुपोषण


वाशिंगटन स्थित कृषि विचार मंच ‘इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (IFPRI) द्वारा किये गए एक अध्ययन ने स्वास्थ्य पर वर्तमान ध्यान से अलग और जिलेवार हो रही सामाजिक-आर्थिक असमानता में कमी पर जोर देते हुए विशेष रूप से, लैंगिक असमानता और कुपोषण की समस्या के प्रति भारत के दृष्टिकोण में बदलाव के लिये तर्क प्रस्तुत किया।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

इस अध्ययन में, भारत में बच्चों में अल्प वृद्धि (childhood stunting) के तेजी से होने वाले प्रसार पर किये जाने वाले राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 (National Family Health Survey- NFHS) से प्राप्त आँकड़ों का स्थानिक दृष्टि से अध्ययन तथा विश्लेषण किया तथा यह निष्कर्ष निकाला कि बहुत अधिक स्टंटिंग वाले जिले में, कम-स्टंटिंग जिलों के साथ इस अंतर को 71% तक खत्म किया जा सकता है यदि वे लैंगिक असमानता के विशिष्ट मुद्दों पर सुधार करने में सक्षम होते हैं। 

इन अंतरों में शामिल हैं- महिलाओं का निम्न बॉडी मास इंडेक्स (जो इस अंतर का 19% है), महिलाओं की शिक्षा (12%), बच्चों के लिये पर्याप्त आहार (9%), पूंजी (7%), खुले में शौच (7%), शादी के समय उम्र (7%), प्रसव-पूर्व देखभाल (6%) तथा परिवार का आकार (5%)।

➤ स्टंटिंग प्रसार (पाँच साल से कम उम्र के उन बच्चों का प्रतिशत जिनकी लम्बाई उम्र के अनुसार कम है) बच्चों के पोषण संबंधी स्थिति का महत्त्वपूर्ण सूचक है। 

➤ स्टंट प्रीस्कूलर (शिशु विद्यालय का छात्र) की कुल वैश्विक आबादी का एक तिहाई हिस्सा भारत में है।

➤ NHFS 4 डाटा जिसका उल्लेख इस अध्ययन में किया गया है, वह दर्शाता है कि जिला स्तर पर स्टंटिंग में अंतर बड़े पैमाने पर व्याप्त है।

➤ यह अंतर एर्नाकुलम (केरल) में 12.4% से लेकर बहराइच (उ.प्र.) में 65.1% तक व्याप्त है। 

➤ भारत के 640 ज़िलों में से दो तिहाई से अधिक ज़िले, मुख्य रूप से उत्तर तथा मध्य भारत में स्टंटिंग का स्तर उच्च से लेकर बहुत उच्च तक है। 

➤ 202 जिलों में स्टंटिंग का प्रसार 30% से 40% तक है जबकि 239 जिलों में यह स्तर 40% से अधिक है। 

निष्कर्ष 

अध्ययन से पता चलता है कि स्टंटिंग को कम करने के लिये मौजूदा ICDS योजना के तहत, केवल स्वास्थ्य और पोषण संबंधी कारकों पर ध्यान केंद्रित करना पर्याप्त नहीं है बल्कि जिला स्तर पर लैंगिक असमानताओं को दूर करने की आवश्यकता है। 

महिलाओं के जीवन चक्र में उनसे संबंधित कारक, जैसे- उनकी शिक्षा, पोषण, विवाह की उम्र, गर्भावस्था के दौरान तथा उसके बाद की देखभाल परिवार के सामाजिक-आर्थिक स्थिति के समान ही एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

जब केंद्र सरकार ने अपने राष्ट्रीय पोषण मिशन (POSHAN अभियान) को जिला स्तर के फोकस के साथ स्टंटिंग को कम करने के लिये लॉन्च किया है उस समय ये निष्कर्ष महत्त्वपूर्ण हैं।