Saturday, 15 September 2018

आत्महत्या करने वाली 37% महिलाएँ भारतीय


हाल ही में किये गए इंडिया स्टेट लेवल रोग बर्डन इनिशिएटिव नामक एक संयुक्त अध्ययन के अनुसार, भारत में 15-39 साल की आयु वर्ग में मृत्यु का प्रमुख कारण आत्महत्या है।

प्रमुख बिंदु

➤ यह रिपोर्ट इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR), भारत के लोक स्वास्थ्य फाउंडेशन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सहयोग से स्वास्थ्य मेट्रिक्स और मूल्यांकन संस्थान सहित अन्य संस्थानों का संयुक्त अध्ययन है।

 दुनिया भर में इस प्रकार की मौतों यानी आत्महत्या से करने वाली महिलाओं में से 37 प्रतिशत हिस्सा भारतीय महिलाओं का है, वहीं बुज़ुर्गों में आत्महत्या की दर पिछली तिमाही में बढ़ी है। हाल ही में इन तथ्यों का खुलासा किया गया है।

 वैश्विक रूप से आत्महत्या के कारण होने वाली मौतों में भारत की आनुपातिक संख्या उच्च गति से बढ़ रही है।

 इस रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2016 में 15-39 साल की आयु वर्ग के लोगों द्वारा आत्महत्या, भारत में मौत का एक प्रमुख कारण था जहाँ महिलाओं के बीच आत्महत्या के कारण मौत का प्रतिशत 71.2 था, तो वहीं पुरुषों के बीच इस आयु वर्ग में यह प्रतिशत 57.7 था।

 वर्ष 1990 से 2016 के दौरान दुनिया भर में आत्महत्या के कारण हुई कुल मौतों में भारत का बहुत अधिक योगदान रहा, विशेष रूप से महिलाओं में इसकी वृद्धि चिंता का कारण है।

 वैश्विक रूप से आत्महत्या के कारण मौतों में भारत का योगदान 1990 के 25.3% से बढ़कर 2016 में 36.6% और महिलाओं के बीच 18.7% से बढ़कर 24.3% हो गया।

 यदि आत्महत्या की दर में कमी नहीं होती है तो वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की भारत की संभावना शून्य हो जाएगी।

 इस रिपोर्ट के मुताबिक, नगालैंड में सबसे कम जबकि कर्नाटक में सबसे ज्यादा आत्महत्या की घटनाएँ होती हैं।

 आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना राज्यों में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिये SDR लगातार उच्च था।