Wednesday 19 September 2018

जर्मनी में विश्व की पहली हाइड्रोजन इंधन वाली ट्रेन का सफल परीक्षण किया गया


जर्मनी में 18 सितंबर 2018 को विश्व की पहली हाइड्रोजन इंधन वाली ट्रेन का सफल ट्रायल किया गया। यह ट्रेन पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है अर्थात् डीजल इंजन की भांति इससे प्रदूषण नहीं होता

विश्व में बढ़ रही प्रदूषण की समस्या के चलते इस ट्रेन का निर्माण किया गया है उत्तरी जर्मनी में हमबर्ग के पास एक रेलवे लाइन पर इस ट्रेन की का सफल ट्रायल हुआ इस ट्रेन का नाम कोराडिया आई लिंट (Coradia ilint) रखा गया है

हाइड्रोजन इंधन वाली ट्रेन की विशेषताएं
  • इसको फ्रांस की कंपनी एलस्टॉम (Alstom) ने दो साल की मेहनत के बाद तैयार किया है।
  • कंपनी द्वारा दावा किया गया है कि यह ट्रेन जीरो एमिशन पैटर्न पर चलती है अर्थात् इससे कार्बन डाइऑक्साइड नहीं निकलती बल्कि इससे भाप उत्पन्न होती है।
  • इसकी स्पीड और यात्रियों को ले जाने की क्षमता डीजल ट्रेन की तुलना में कम नहीं है। इसकी टॉप स्पीड 140 किलोमीटर प्रति घंटा है।
  • कोराडिया आई लिंट ट्रेन सिंगल टैंक हाइड्रोजन भरे जाने पर 1,000 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है, ऐसा दावा किया गया है।
  • इस ट्रेन के परीक्षण के तौर पर इसे उत्तरी जर्मनी में कक्सहेवन, ब्रेमेरहेवन, ब्रेमर्वोर्डे और बक्सटेहुड के कस्बों और शहरों के बीच एक 100 किलोमीटर की दूरी पर चलाया गया।
  • इस ट्रेन की विशेषता यह भी है कि एक बार इसका टैंक फुल होने के बाद यह करीब 1000 किलोमीटर की दूरी तय करती है।

हाइड्रोजन ट्रेन की उपयोगिता

हाइड्रोजन ट्रेन को चलाने में डीजल इंजन की तुलना खर्च थोड़ा ज्यादा आता है हाइड्रोजन ट्रेनों में फ्यूल शेल होता है, जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के मिलने के बाद बिजली उत्पन्न करती हैं इस प्रक्रिया के दौरान उत्सर्जन के रूप में सिर्फ भाप और पानी निकलता है यही कारण है कि इसे जीरो उत्सर्जन यानि कि प्रदूषण न करने वाला इंजन बताया जाता है इस दौरान बिजली का जो अधिक उत्पादन होता है, उसे ट्रेन में आयन लिथियम बैटरी में अतिरिक्त जमा की जाती है इस प्रकार देखा जाए तो इसके उत्पादन में खर्च अधिक है लेकिन लम्बे समय के लिए इसके अनेक लाभ भी हैं

इस ट्रेन से जर्मनी के कई शहरों में प्रदूषण से निपटा जा सकता है जर्मनी के अलावा ब्रिटेन, नीदरलैंड, डेनमार्क, नॉर्वे, इटली, कनाडा जैसे देशों में भी हाईड्रोजन ट्रेन चलाने की संभावना पर काम किया जा रहा हैफ्रांस की सरकार ने पहले ही कहा कि वह देश में 2022 तक पटरी पर हाईड्रोजन ट्रेन चलते देखना चाहती है