Friday 21 September 2018

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ग्लोबल टीबी रिपोर्ट-2018 जारी की

  विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2018 जारी की है। इस रिपोर्ट में टीबी के बारे में व्यापक और नवीनतम आकलन दिया गया है। डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट में कहा गया है किविश्वभर के देशों को टीबी की रोकथाम के लिए जो उपाय करने चाहिए, वह अभी भी नहीं किए जा रहे हैं।     इसके अतिरिक्त, इस रिपोर्ट में यह जानकारी भी दी गई है कि वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर इस बीमारी को लेकर क्या कदम उठाए जा रहे हैं एवं उनमें क्या प्रगति आई है।  रिपोर्ट में बताया गया है कि पूरी दुनिया में पिछले वर्ष एक करोड़ लोग टीबी से पीड़ित हुए, जिनमें 27 प्रतिशत लोग भारत से हैं।     डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य  रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक स्तर पर आकलन के मुताबिक वर्ष 2017 में एक करोड़ लोगों को टीबी हुई, इनमें से 58 लाख पुरुष, 32 लाख महिलाएं और दस लाख बच्चे हैं।  विश्वभर में टीबी के कुल मरीजों में दो तिहाई आठ देशों में हैं. इनमें से भारत में 27  प्रतिशत मरीज हैं।  चीन में 9 प्रतिशत, इंडोनेशिया में 8 प्रतिशत, फिलीपींस में 6 प्रतिशत, पाकिस्तान में 5 प्रतिशत, नाइजीरिया में 4 प्रतिशत, बांग्लादेश में 4 प्रतिशत तथा दक्षिण अफ्रीका में 3 प्रतिशत लोग टीबी की बीमारी से पीड़ित हैं।  रिपोर्ट में कहा गया कि टीबी के कारण प्रतिदिन लगभग 4,000 लोगों की जान चली जाती है।  डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट के अनुसार विश्वभर में रोगों से होने वाली मौत की दसवीं सबसे बड़ी वजह टीबी है।  विदित हो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2030  तक दुनिया से टीबी के उन्मूलन का लक्ष्य तय कर रखा है।     टीबी रोकथाम असफलता के कारण  डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि टीबी की रोकथाम के लिए इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों की पहचान और उनका उचित इलाज करने की दिशा में उठाए गए कदम भी नाकाफी हैं।  संगठन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017 में 1 करोड़ लोगों को टीबी की बीमारी हुई, लेकिन इनमें से 64 लाख लोगों का केस ही आधिकारिक रूप से सरकारी आंकड़ों में दर्ज किया जा सका।  संगठन के अनुसार 36 लाख से ज्यादा लोगों की बीमारी की न तो सही समय पर पहचान हो सकी और न ही उन्हें इलाज की उचित सुविधाएं मुहैया कराई जा सकी अर्थात् टीबी से ग्रस्त 64 प्रतिशत मरीजों का ही इलाज हो सका।  संगठन का कहना है कि टीबी से ग्रस्त मरीजों की पहचान और उनके इलाज के आंकड़े को 64 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत करना होगा, इसके बाद ही दुनिया से टीबी की बीमारी का उन्मूलन संभव हो पाएगा।                                                                                                           Written by Rajeev Ranjan

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2018 जारी की है। इस रिपोर्ट में टीबी के बारे में व्यापक और नवीनतम आकलन दिया गया है। डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट में कहा गया है किविश्वभर के देशों को टीबी की रोकथाम के लिए जो उपाय करने चाहिए, वह अभी भी नहीं किए जा रहे हैं। 

इसके अतिरिक्त, इस रिपोर्ट में यह जानकारी भी दी गई है कि वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर इस बीमारी को लेकर क्या कदम उठाए जा रहे हैं एवं उनमें क्या प्रगति आई है।  रिपोर्ट में बताया गया है कि पूरी दुनिया में पिछले वर्ष एक करोड़ लोग टीबी से पीड़ित हुए, जिनमें 27 प्रतिशत लोग भारत से हैं। 

डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य
  • रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक स्तर पर आकलन के मुताबिक वर्ष 2017 में एक करोड़ लोगों को टीबी हुई, इनमें से 58 लाख पुरुष, 32 लाख महिलाएं और दस लाख बच्चे हैं। 
  • विश्वभर में टीबी के कुल मरीजों में दो तिहाई आठ देशों में हैं. इनमें से भारत में 27  प्रतिशत मरीज हैं। 
  • चीन में 9 प्रतिशत, इंडोनेशिया में 8 प्रतिशत, फिलीपींस में 6 प्रतिशत, पाकिस्तान में 5 प्रतिशत, नाइजीरिया में 4 प्रतिशत, बांग्लादेश में 4 प्रतिशत तथा दक्षिण अफ्रीका में 3 प्रतिशत लोग टीबी की बीमारी से पीड़ित हैं। 
  • रिपोर्ट में कहा गया कि टीबी के कारण प्रतिदिन लगभग 4,000 लोगों की जान चली जाती है। 
  • डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट के अनुसार विश्वभर में रोगों से होने वाली मौत की दसवीं सबसे बड़ी वजह टीबी है। 
  • विदित हो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2030  तक दुनिया से टीबी के उन्मूलन का लक्ष्य तय कर रखा है। 

टीबी रोकथाम असफलता के कारण
  • डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि टीबी की रोकथाम के लिए इस बीमारी से ग्रस्त मरीजों की पहचान और उनका उचित इलाज करने की दिशा में उठाए गए कदम भी नाकाफी हैं। 
  • संगठन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017 में 1 करोड़ लोगों को टीबी की बीमारी हुई, लेकिन इनमें से 64 लाख लोगों का केस ही आधिकारिक रूप से सरकारी आंकड़ों में दर्ज किया जा सका। 
  • संगठन के अनुसार 36 लाख से ज्यादा लोगों की बीमारी की न तो सही समय पर पहचान हो सकी और न ही उन्हें इलाज की उचित सुविधाएं मुहैया कराई जा सकी अर्थात् टीबी से ग्रस्त 64 प्रतिशत मरीजों का ही इलाज हो सका। 
  • संगठन का कहना है कि टीबी से ग्रस्त मरीजों की पहचान और उनके इलाज के आंकड़े को 64 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत करना होगा, इसके बाद ही दुनिया से टीबी की बीमारी का उन्मूलन संभव हो पाएगा।  
                                                                                                      Written by Rajeev Ranjan