Thursday, 6 September 2018

समलैंगिकता अब अपराध नहीं, क्या है आईपीसी की धारा 377


इस लेख में आप जानेगें:- समलैंगिकता अब अपराध नहीं, क्या है आईपीसी की धारा 377, समलैंगिकता पर किन देशों में है मौत की सजा, किन देशों में है मान्य, वे शख्सियतें जिनके लिए समलैंगिकता कमजोरी नहीं बल्कि ताकत है, क्या होता है एलजीबीटी के इंद्रधनुषी झंडे में रंगों का मतलब (लेखक: राजीव रंजन)


दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंध को अब अपराध नहीं माना जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, एएम खानविल्कर, डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की संवैधानिक पीठ ने इस फैसले पर सुनवाई की।

मुख्य तथ्य
  • चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि समलैंगिक लोगों को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है। बेंच ने माना कि समलैंगिकता अपराध नहीं है और इसे लेकर लोगों को अपनी सोच बदलनी होगी।
  • बेंच ने माना कि समलैंगिकता अपराध नहीं है और इसे लेकर लोगों को अपनी सोच बदलनी होगी।
  • संविधान पीठ ने स्पष्ट शब्दों  में कहा कि LGBT समुदाय को भी अन्‍य नागरिकों की तरह जीने का हक है। उन्हें भी दूसरे लोगों के समान ही तमाम अधिकार प्राप्त हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक संबंधों को अपराध मानने से इनकार कर दिया।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धारा 377 अतार्किक, मनमाना और समझ से बाहर है क्योंकि यह एलजीबीटी समुदाय के समानता के अधिकारों पर रोक लगाती है। निजता का अधिकार जो कि जीवन के अधिकार में समाहित है, यह एलजीबीटी समुदाय पर भी लागू होता है।
  • पीठ ने अपने आदेश में कहा, हमें पुरानी धारणाओं को बदलने की जरूरत है। नैतिकता की आड़ में किसी के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता।
  • यह निर्णय अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) की व्याख्या पर आधारित है, अनुच्छेद 15 (धर्म, जाति, जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव की निषेध), अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 21 (जीवन का अधिकार और गोपनीयता का अधिकार) के तहत दिया गया हैं।

आईपीसी धारा 377

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में समलैंगिकता को अपराध बताया गया है। आईपीसी की धारा 377 के मुताबिक जो कोई भी किसी पुरुष, महिला या पशु के साथ प्रकृति की व्यवस्था के खिलाफ यौन संबंध बनाता है तो इस अपराध के लिए उसे 10 वर्ष की सजा या आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा। उस पर जुर्माना भी लगाया जाएगा। यह अपराध संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है और यह गैर जमानती है।

जुलाई 2018: सुप्रीम कोर्ट के फैसले

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान ने 17 जुलाई 2018 को धारा-377 की वैधता को चुनौती वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए यह साफ किया था कि इस कानून को पूरी तरह से निरस्त नहीं किया जाएगा।

कोर्ट ने कहा था कि यह दो समलैंगिक वयस्कों द्वारा सहमति से बनाए गए सेक्सुअल संबंध तक ही सीमित रहेगा।पीठ ने कहा कि अगर धारा-377 को पूरी तरह निरस्त कर दिया जाएगा तो आरजकता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। हम सिर्फ दो समलैंगिक वयस्कों द्वारा सहमति से बनाए गए सेक्सुअल संबंध पर विचार कर रहे हैं।यहाँ सहमति ही अहम बिन्दु है।

पहले याचिकाओं पर अपना जवाब देने के लिए कुछ और समय का अनुरोध करने वाली केन्द्र सरकार ने बाद में इस दंडात्मक प्रावधान की वैधता का मुद्दा अदालत के विवेक पर छोड़ दिया था।

वर्ष 2009 में दिल्‍ली हाईकोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर 2013 को सुरेश कुमार कौशल बनाम नाज फाउंडेशन मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए समलैंगिकता को अपराध माना था।

दिल्ली हाईकोर्ट ने 2 जुलाई 2009 को धारा 377 को अंसवैधानिक करार दिया था. इस मामले में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी और फिलहाल पांच जजों के सामने क्यूरेटिव बेंच में मामला लंबित है।

एलजीबीटीक्यू समुदाय क्या है?

एलजीबीटीक्यू समुदाय के तहत लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंटर और क्वीयर आते हैं। एक अर्से से इस समुदाय की मांग है कि उन्हें उनका हक दिया जाए और धारा 377 को अवैध ठहराया जाए। निजता का अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस समुदाय ने अपनी मांगों को फिर से तेज कर दिया था।

समलैंगिकता पर इन देशों में मौत की सजा

सुडान, ईरान, सऊदी अरब, यमन में समलैंगिक रिश्ता बनाने के लिए मौत की सजा दी जाती है। सोमालिया और नाइजीरिया के कुछ हिस्सों में भी इसके लिए मौत की सजा का प्रावधान है। हालांकि, दुनिया में कुल 13 देश ऐसे हैं जहाँ गे सेक्स को लेकर मौत की सजा देने का प्रावधान है। अफगानिस्तान, पाकिस्तान, कतर में भी मौत की सजा का प्रावधान है, लेकिन इसे लागू नहीं किया जाता है। इंडोनेशिया सहित कुछ देशों में गे सेक्स के लिए कोड़े मारने की सजा दी जाती है। वहीं अन्य देशों में भी इसे अपराध की श्रेणी में रखा गया है और जेल की सजा दी जाती है।

समलैंगिकता इन देशों में है मान्य

बेल्जियम, कनाडा, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, नॉर्वे, स्वीडन, आइसलैंड, पुर्तगाल, अर्जेंटीना, डेनमार्क, उरुग्वे, न्यूजीलैंड, फ्रांस, ब्राजील, इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, लग्जमबर्ग, फिनलैंड, आयरलैंड, ग्रीनलैंड, कोलंबिया, जर्मनी, माल्टा भी समलैंगिक शादियों को मान्यता दे चुका है.

पृष्ठभूमि

सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2013 में दिल्ली हाई कोर्ट के फ़ैसले को पलटते हुए इसे अपराध की श्रेणी में डाल दिया था।

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट को इसके विरोध में कई याचिकाएं मिलीं. आईआईटी के 20 छात्रों ने नाज फाउंडेशन के साथ मिलकर याचिका डाली थी। इसके अलावा अलग-अलग लोगों ने भी समलैंगिक संबंधों को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

सुप्रीम कोर्ट को धारा-377 के खिलाफ 30 से ज्यादा याचिकाएँ मिली। याचिका दायर करने वालों में सबसे पुराना नाम नाज फाउंडेशन का है, जिसने वर्ष 2001 में भी धारा-377 को आपराधिक श्रेणी से हटाए जाने की मांग की थी।

वे शख्सियतें जिनके लिए समलैंगिकता कमजोरी नहीं बल्कि ताकत है।


भारत में जहाँ समय-समय पर कई सेलिब्रिटीज इसे लेकर दबी जुबान से बात करते आए हैं तो दुनिया के कई देशों में सेलिब्रिटीज ने खुलकर स्वीकार किया है कि वे गे हैं। एप्पल के सीईओ टिम कुक हो या फिर आयरलैंड के प्रधानमंत्री लियो वाराडकर, इन सभी को कभी भी इस बात को स्वीकार करने में कोई हिचक नहीं हुई है कि वे समलैंगिक हैं। एक नजर डालिए दुनिया की उन सेलिब्रिटीज पर जो समलैंगिक हैं। 

लियो वराडकर

आयरलैंड की कमान संभाल रहे 39 वर्ष के प्रधानमंत्री लियो वारदकर के हाथ में हैं। भारतीय मूल के लियो न सिर्फ आयरलैंड के सबसे युवा पीएम हैं बल्कि वह इस देश के पहले गे पीएम भी हैं। वर्ष 2015 में वारदकर ने यहां के आरटीई रेडियो को एक इंटरव्यू दिया और इस इंटरव्यू में वरदकर ने अपनी सेक्सुअैलिटी और अपने भारतीय होने पर कई बातें कहीं। वरदकर ने कहा, 'ये ऐसा मुद्दा नहीं है जो मुझे परिभाषित करे। मैं कोई आधा-भारतीय राजनेता, या फिर एक डॉक्टर राजनेता या फिर एक गे राजनेता नहीं हूं। ये सब मेरे हिस्से हैं लेकिन यह मुझे परिभाषित नहीं करते हैं। मुझे लगता है कि यह मेरे चरित्र का हिस्सा है।'आयरलैंड के चुनावों में जहां एक गे को प्रधानमंत्री चुना गया है तो एक लेस्बियन कैथरीन जापोने को भी कैबिनेट में जगह मिली है। लियो के पार्टनर आयरलैंड के मशहूर डॉक्टर हैं।

टिम कुक

एप्पल के सीईओ टिम कुक ने साल 2014 में अपनी सेक्सुअैलिटी से जुड़े एक ऐसे सच को दुनिया के सामने लाकर रखा जिससे उन्हें शर्म नहीं बल्कि खुशी और गर्व का अहसास कराया था। सीईओ कुक ने चार वर्ष पहले ब्लूमबर्ग बिजनेसवीक में एक आर्टिकल लिखा था और इसमें उन्होंने लिखा, 'आई एम प्राउड टू बी ए गे, और मुझे लगता है कि गे होना भगवान वह अनमोल तोहफा है, जिसके लिए उन्हें भी चुना है।'कुक ने पहली बार सार्वजनिक तौर पर अपनी सेक्सुऐलिटी के बारे में दुनिया को बताया है। कुक ने आगे लिखा था कि उनकी यह बात उन लोगों को तसल्ली दे सकती है जो अकेलेपन का अहसास करते हैं और उन लोगों को प्रेरित कर सकती है जो बराबरी के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। कुक की मानें तो अब यह सिर्फ उनकी निजता से जुड़ा ही कोई पहलू नहीं रह गया है।

एना ब्रनाबिक

सर्बिया की पीएम एना ब्रनाबिक 29 जून 2017 को देश की 12वीं प्रधानमंत्री चुनी गईं। एना एक गे हैं और उनकी मानें तो यह बात उन्हें कभी कमजोर महसूस नहीं कराती है। ब्रनाबिक दुनिया की पांचवीं ऐसी नेता हैं जो एलजीबीटी समुदाय से आती हैं और जिन्होंने खुले तौर पर स्वीकार किया कि वह एक गे हैं। पीएम बनने के बाद उन्होंने इंटरव्यू में कहा, यह बात मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है कि किसी के गे होने को ही उसके व्यक्तित्व का अंग माना जाए। ये क्यों जरूरी है? क्या हमें किसी व्यक्ति की ईमानदारी, देश के लिए उसके प्यार और उसकी कड़ी मेहनत को ध्यान में नहीं रखना चाहिए?'

जैवियर वेटेल

लक्जमबर्ग के पीएम जैवियर बेटेल भी एक गे हैं और वह यह मानते हैं कि लक्जमबर्ग के लोग इस बात को ध्यान में नहीं रखते हैं कि कोई गे है या फिर नहीं। बेटेल जब पीएम बने तो वह दुनिया के तीसरे ऐसे राष्ट्राध्यक्ष बने थे जो गे होने के बावजूद पीएम चुने गए थे। वेटेल ने दिसंबर 2013 में पीएम का पद संभाला था। मार्च 2010 से बेटेल गाउथेयिर डेस्टेने के साथ रिलेशनशिप में हैं। डेस्टेने ने बेटेल को प्रपोज किया था और बेटेल ने इसे स्वीकार कर लिया था। बेटेल और डेस्टेन ने 15 मई 2015 में शादी कर ली थी। दोनों की शादी एक जनवरी 2015 से लक्जमबर्ग में सेम सेक्स शादी को कानूनी मान्यता मिल गई थी।

एलियो डी रूपो

एलियो डी रूपो ने दिसंबर 2011 में बेल्जियम के पीएम बने थे। रूपो ने साल 1996 में इस बात को स्वीकार किया था कि वह गे हैं। इस घटना के बाद एक दिन कई जर्नलिस्ट्स ने उन्हें घेर लिया और चिल्लाने लगे, 'आप गे हैं।' इस पर उन्होंने जवाब दिया, 'तो इसमें क्या हुआ?' रूपो के मुताबिक आज तक वह उस एक पल को भूला नहीं सके हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि जर्नलिस्ट्स इसे सुनकर काफी हैरान थे और इसके बाद उन्हें जाने दिया गया। वह दुनिया के पहले ऐसे नेता बने जिन्होंने समलैंगिक संबंधों को स्वीकारने के बाद देश की बागडोर संभाली थी।

एलेन डिजेनरेस

एलेन डिजेनरेस आज दुनिया का जाना-माना नाम हैं। टॉक शो क्वीन एलेन ने साल 1997 में यह बात स्वीकार की थी कि वह एक लेस्बियन हैं। उनकी इस बात को अमेरिकी मीडिया ने प्रमुखता से जगह दी। एलेन की मां उनके इस कुबूलनामे से सकते में थी लेकिन बाद में वह एलेन की सबसे बड़ी सपोर्टर बन गई। 1997 से अगस्त 2000 तक एलेन, एक्ट्रेस एने हैशे के साथ रिलेशनशिप में रहीं। इसके बाद अगस्त 2000 से 2004 तक उनकी रिलेशनशिप एक्ट्रेस और डायरेक्टर एलेक्जेंड्रा हैडीसन के साथ रही। साल 2004 से एलेन पोर्शिया डी रोसी के साथ रिलेशनशिप में हैं। एलेन की कुल संपत्ति 400 मिलियन डॉलर की है।

रिकी मार्टिन

मशहूर लैटिन सिंगर रिकी मार्टिन ने साल 2011 में ओप्रा विन्फ्रे के शो पर इस बात को स्वीकार किया था कि वह एक गे हैं। 29 मार्च 2010 को रिकी ने सार्वजनिक तौर पर यह बात स्वीकार की थी कि वह एक गे हैं। उन्होंने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर लिखा था, 'मुझे यह बात कहते हुए काफी खुशी हो रही है कि मैं एक समलैंगिक पुरुष हूं। मैं खुद को काफी भाग्यवान मानता हूं।' रिकी अपने सेक्सुअैलिटी पर कई वर्षों तक खामोश रहे थे। उन्होंने कहा कि इतने वर्षों की चुप्पी ने उन्हें और मजबूत बना दिया है। मार्टिन एक इकोनॉमिस्ट कार्लोस गॉन्जालेस एबेला के साथ रिलेशनशिप में रहे जो कि जनवरी 2014 में खत्म हो गई। रिकी ने साल 2016 में कुर्दिश नागरिक जवान युसूफ को डेट करना शुरू किया और जनवरी 2018 में उन्होंने युसूफ से शादी कर ली।

सर एल्टन जॉन

ब्रिटेन के लीजेंडरी सिंगर सर एल्टन जॉन साल 1993 में फिल्ममेकर डेविड फर्निश के साथ रिलेशनशिप में आए। इसके साथ ही उन्होंने अपनी सेक्सुअैलिटी को दुनिया के सामने उजागर किया। साल 2010 में उन्हें कुछ क्रिश्चियन ऑर्गनाइजेशंस के विरोध का सामना भी करना पड़ा। साल 2013 में जॉन ने रूस में लागू एलजीबीटी कानूनों का विरोध किया तो उन्हें रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की तरफ से आई आलोचना भी सहनी पड़ गई। पुतिन ने कहा था कि जॉन को यह समझ लेना होगा कि रूस के एलजीबीटी समुदाय के साथ कोई भी भेदभाव नहीं होता है।

क्या होता है एलजीबीटी के इंद्रधनुषी झंडे में रंगों का मतलब?


दुनियाभर में एलजीबीटी (लेस्बियन-गे-बायसेक्शुअल-ट्रांसजेंडर) समुदाय के लिए इंद्रधनुषी झंडा उनकी पहचान है। दुनियाभर में इस समुदाय के लोग कई झंडे इस्तेमाल करते हैं लेकिन 1978 में कलाकार गिलबर्ट बेकर द्वारा पेश एलजीबीटी झंडा काफी लोकप्रिय है जिसमें 8 रंग थे। बाद में इनकी संख्या घटकर छह (लाल-नारंगी-पीला-हरा-नीला-बैंगनी) रह गई थी जिसका हर रंग जिंदगी के पहलुओं को बयां करता है।