Thursday 27 September 2018

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, SC/ ST को प्रमोशन में आरक्षण की जरूरत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने नागराज मामले में फैसले को सही बताते हुए फैसले पर फिर से विचार की जरूरत को खारिज किया सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में एससी/एसटी आरक्षण के लिए कोई डेटा जमा करने की जरूरत नहीं है
सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण मामले में बेहद अहम फैसला दिया है प्रमुख न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस इंदू मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए ये भी कहा कि यह मामला 7 जजों की बेंच को नहीं भेजा जाएगा
प्रमोशन में आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नागराज जजमेंट में दी व्यवस्था को बैड इन लॉ कहा जिसमें आरक्षण से पहले पिछड़ेपन का डेटा सरकार से एकत्र करने को कहा गया था

क्या था साल 2006 का फैसला?
➤ वर्ष 2006 में नागराज से संबंधित वाद में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने कहा था कि सरकार एससी/एसटी को प्रमोशन में आरक्षण दे सकती है, लेकिन शर्त लगाई थी कि प्रमोशन में आरक्षण से पहले यह देखना होगा कि अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं
➤ गौरतलब है कि सरकार और आरक्षण समर्थकों ने वर्ष 2006 के एम नागराज के फैसले को पुनर्विचार के लिए सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजे जाने की मांग की थी
➤ मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मांग पर सभी पक्षों की बहस सुनकर गत 30 अगस्त 2018 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था सरकार और आरक्षण समर्थकों का कहना है कि एम नागराज फैसले में दी गई व्यवस्था सही नहीं है

एससी/एसटी
एससी एसटी अपने आप में पिछड़े माने जाते हैं राष्ट्रपति द्वारा जारी सूची में शामिल होने के बाद उनके पिछड़ेपन के अलग से आंकड़े जुटाने की जरूरत नहीं है जबकि आरक्षण विरोधियों ने एम नागराज फैसले को सही ठहराते हुए कहा था कि उस फैसले में पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दी गई व्यवस्था सही कानून हैउनका कहना था कि आरक्षण हमेशा के लिए नहीं है ऐसे में पिछड़ेपन के आंकड़े जुटाए बगैर यह कैसे पता चलेगा कि सरकारी नौकरियों में एससी/एसटी का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है और इसलिए इन्हें प्रोन्नति में आरक्षण देने की जरूरत है