Wednesday 12 September 2018

चुनाव आयोग ने राज्य सभा और विधान परिषद चुनावों से ‘नोटा’ विकल्प हटाया


चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद राज्यसभा और विधान परिषद चुनावों के मतपत्रों से 'उपर्युक्त में से कोई भी नहीं' (नोटा) विकल्प 11 सितंबर 2018 को हटाने की घोषणा की सुप्रीम कोर्ट ने राज्यसभा और विधान परिषद (MLC) के चुनावों में बैलेट पेपर से नोटा का विकल्प प्रकाशित नहीं करने के आदेश जारी किए हैं

लोकसभा और राज्य विधानसभाओं जैसे प्रत्यक्ष चुनावों में नोटा एक विकल्प के रूप में जारी रख सकता हैफैसले में चुनाव आयोग ने सभी राज्यों के प्रमुख निर्वाचन अधिकारियों को जारी एक आदेश में कहा कि अब से इन चुनावों के मतपत्रों में नोटा के लिए कॉलम मुद्रित नहीं किया जाएगा

सुप्रीम कोर्ट का आदेश
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यसभा चुनाव में नोटा लागू करना पहली निगाह में बुद्धिमत्तापूर्ण लगता है, लेकिन अगर उसकी पड़ताल की जाए तो ये आधारहीन दिखता है क्योंकि इसमें ऐसे चुनाव में मतदाता की भूमिका को नजरअंदाज कर दिया गया है, इससे लोकतांत्रिक मूल्यों का ह्रास होता है।
  • कोर्ट के अनुसार, शुरुआत में यह सोच आकर्षक लग सकती है लेकिन इसके व्यवहारिक प्रयोग से अप्रत्यक्ष चुनावों में समाहित चुनाव निष्पक्षता समाप्त होती है वह भी तब जबकि मतदाता के मत का मूल्य हो और वह मूल्य ट्रांसफरेबल हो। ऐसे में नोटा एक बाधा है।
  • कोर्ट ने कहा कि राज्यसभा चुनाव में नोटा लागू करने से न सिर्फ संविधान के दसवीं अनुसूची मे दिये गए अनुशासन का हनन होता है (अयोग्यता के प्रावधान) बल्कि दल बदल कानून में अयोग्यता प्रावधानों पर भी विपरीत असर डालता है।

नोटा (NOTA) के बारे में जानकारी
  • इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) का विकल्प दिया गया है जिसे आप चुनाव में अपने पंसद के प्रत्याशी न होने पर नोटा बटन का प्रयोग कर सकते हैं
  • इंडिया में नोटा 2013 में सुप्रीम कोर्ट के दिये गए एक आदेश के बाद शुरू हुआ।
  • पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज  बनाम भारत सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि जनता को मतदान के लिये नोटा का भी विकल्प उपलब्ध कराया जाए।
  • भारत नोटा का विकल्प उपलब्ध कराने वाला विश्व का 14वाँ देश है।