Tuesday 13 March 2018

जानें आखिर उष्णकटिबंधीय चक्रवात 30° उत्तरी तथा 30° दक्षिणी अक्षांशों के बीच ही क्यों आते हैं?



उष्णकटिबंधीय चक्रवात कम दबाव प्रणाली हैं जो उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के समुद्र में महासागरों के ऊपर विकसित होते हैं। उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तूफान है जो विशाल निम्न दबाव केंद्र और भारी तड़ित-झंझावतों द्वारा चरितार्थ होता है और जो तीव्र हवाओं व घनघोर वर्षा की स्थिति उत्पन्न करता है। 

उष्णकटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति तब होती है जब नम हवा के ऊपर उठने से गर्मी पैदा होती है, जिसके फलस्वरूप नम हवा में निहित जलवाष्प का संघनन होता है। 

इनकी उत्पत्ति एवं विकास के लिये अनुकूल स्थितियाँ हैं-
  • वृहद् समुद्री सतह जहाँ तापमान 27°C से अधिक हो।
  • कोरियालिस बल का होना।
  • उर्ध्वाधर वायु कर्तन (Vertical Wind Shear) का क्षीण होना।
  • समुद्री तल तंत्र का ऊपरी अपसरण आदि।

ऐसे चक्रवात मुख्यतः 30° उत्तरी एवं 30° दक्षिणी अक्षांशों के मध्य आते हैं क्योंकि इनकी उत्पत्ति हेतु उपरोक्त दशाएँ यहाँ विद्यमान होती हैं। भूमध्य रेखा पर निम्न दाब के बावजूद नगण्य कोरियालिस बल के कारण पवनें वृत्ताकार रूप में नहीं चलतीं, जिससे चक्रवात नहीं बनते। दोनों गोलार्द्धों में 30° आक्षांश के बाद ये पछुआ पवन के प्रभाव में स्थल पर पहुँचकर समाप्त हो जाती हैं।