चाँद हमारी धरती का एकलौता कुदरती उपग्रह है। वैज्ञानिको का मानना है कि आज से 450 करोड़ साल पहले ‘थैया‘ नामक उल्का धरती से टकराया और धरती का कुछ हिस्सा टूट कर अलग हो गया जो कि चाँद बना। उस समय धरती द्रव रूप में थी। चाँद 27.3 दिनो में धरती का एक चक्कर पूरा करता है और धरती के समुंदरों पर आने वाले ज्वार और भाटे के लिए जिम्मेदार है।
चाँद/चंद्रमा का मानव इतिहास से बड़ा गहरा ताल्लुक रहा है। बच्चों को चन्दा मामा की कहानियां सुनाई जाती है (यह धरती का ही टुकड़ा है, इसलिए धरती का भाई है और धरती हमारी माँ है, तो चंद्रमा हमारे मामा हुए न।), महिलायें चंद्रमा को देखकर अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं और हमारे पुराणों में तो चंद्रमा को देवता का भी दर्जा दिया गया है। पौराणिक कथाओं में चाँद का अपना महत्व है। मुस्लिम धर्म के लोग भी ईद भी चाँद को देखने के बाद ही मनाते हैं। वैसे चाँद इतना खूबसूरत है की उसकी सुंदरता, उसके उज्ज्वल नजारे से उसके प्रतिरूप के कारण कसरत से उपयोग में लाया गया है। शायर चाँद में अपने माशूक की शक्ल भी देखता है। शायरों ने बहुत दिलचस्प अंदाज में शेर भी लिखे हैं जिनमें चाँद और माहबूब के हुस्न के बीच प्रतिस्पर्धा का तत्व भी मौजूद है। न जाने चाँद पर कितने गजल, शेर लिखे गए और लिखे जायेंगे। इसके अलावा चाँद ज्योतिषशास्त्र में भी विशेष महत्व रखता है। आइए चाँद के बारे में कुछ रोचक तथ्य जानते हैं –
- चंद्रमा गोल नहीं है बल्कि बहुत हद तक यह अंडे के आकार का है।
- इसे जीवाश्म ग्रह (Fossil Planet) भी कहा जाता है।
- पिछले कई सालों से चांद पर कोई आदमी नहीं गया है। (चाँद पर जाने बाला दुनिया का पहला इंसान अमेरिका का नील आर्मस्ट्रांग था जिसने चन्द्रमा पर पहली बार 20 जुलाई, 1969 को कदम रखा था। उतरने के स्थान को 'सी ऑफ ट्रैन्किवलिटी'/'सी ऑफ ट्रांक्विलिटी' अर्थात् 'शान्त सागर' कहा जाता है)।
- चन्द्रमा की सतह और उसके आतंरिक संरचना का अध्ययन करने वाले विज्ञान को 'सेलेनोलाजी' कहते हैं।
- इसके संगठन तथा संरचना का अध्ययन चन्द्र विज्ञान (Selenography) कहलाता है।
- चन्द्रमा पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है। चन्द्रमा 4.5 अरब साल पहले पृथ्वी और थीया (मार्स के आकार का तत्व) के बीच हुए भीषण टकराव के बाद बचे हुए अवशेषों के मलबे से बना था।
- धरती से अगर चांद गायब हो जाए तो पृथ्वी पर दिन महज छह घंटे के लिए होगा।
- चाँद का व्यास धरती के व्यास का सिर्फ चौथा हिस्सा है और लगभग 49 चाँद धरती में समा सकते हैं।
- सौर मंडल के 63 उपग्रहो में चाँद का आकार 5 वे नंम्बर पर है।
- चाँद का क्षेत्रफल अफ्रीका के क्षेत्रफल के बराबर है।
- नील आर्मस्ट्रांग जब पहली बार चांद पर चले थे, तो उनके पास Wright Brothers के पहले हवाई जहाज का एक टुकड़ा था।
- चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति पृथ्वी से कम होती है अगर आंकड़ों में बात की जाए तो चांद पर इंसान का वजन 16.5% कम होता है. यही कारण है कि चांद पर अंतरिक्ष यात्री ज्यादा उछलकूद कर सकते हैं।
- क्या आपको पता है कि 1950 के दशक के दौरान अमेरिका ने परमाणु बम से चंद्रमा को उड़ाने की योजना बनाई थी ताकि वो दुनिया को अपनी पॉवर दिखा सके।
- नील आर्मस्ट्रोग ने चाँद पर जब अपना पहला कदम रखा तो उससे जो निशान चाँद की जमीन पर बना वह अब तक है और अगले कुछ लाखों सालो तक ऐसा ही रहेगा। क्योंकि चांद पर हवा तो है ही नही जो इसे मिटा दे।
- आज तक महज 12 लोग ही चांद पर कदम रख पाए हैं।
- जब अंतरिक्ष यात्री एलन सैपर्ड चांद पर थे तब उन्होंने एक golf ball को hit मारा जोकि तकरीबन 800 मीटर दूर तक गई।
- अगर आप अपने इंटरनेट की स्पीड से खुश नहीं हैं तो आप चांद का रुख कर सकते है। जी हाँ, नासा ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते हुए चांद पर वाई-फाई कनेक्शन की सुविधा उपलब्ध कराई है जिसकी 19 एमबीपीएस की स्पीड बेहद हैरतअंगेज है।
- चन्द्रमा का तापमान (Temperature) दिन के समय 100 डिगरी सेलसियस से अधिक चला जाता है परन्तु रात का तापमान -180 डिगरी सेलसियस तक आ जाता है।
- चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्ति कम है। किसी भी तरह का वायुमंडल का न होने का मतलब है कि सौर वायु और उल्कापिंड के आने का खतरा लगातार बना रहता है।
- भारत से पहले भी कई वैज्ञानिको का मानना था कि चाँद पर पानी होगा परन्तु किसी ने खोजा नहीं।
- नासा द्वारा भेजे भेजे गए लूनर प्रोस्पेक्टर अन्तरिक्ष यान ने जनवरी 1998 में चंद्रतल से 100 की.मी. ऊपर चक्कर लगाकर कई वैज्ञानिक सूचनाएं भेजी।
- अपनेबैग और एक अमेरिकन झंडे के अलावा एपोलो 11 के अंतरिक्ष यात्री चांद की धरती पर कुछ यादगार निशानी भी छोड़ गए थे।
- चंद्रमा पर मनुष्य द्वारा छोड़े गए 96 बैग ऐसे है जिनमें मल,मूत्र और उल्टी है।
- चंद्रमा की सतह पर धूल का गुबार सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पर मंडराता रहता है। इसका असली कारण अभी तक पता नहीं चल सका है।
- चाँद पर करीब 1 लाख 81 हजार 400 किलो का मानव निर्मित मलबा पड़ा हुआ है जिसमें 70 से अधिक अंतरिक्ष यान और दुर्घटनाग्रस्त कृत्रिम उपग्रह भी शमिल हैं।
- पृथ्वी पर अगर चंद्र ग्रहण लगा है तो चांद पर सूर्य ग्रहण होगा।
- चाँद धरती के आकार का सिर्फ 27 प्रतीशत हिस्सा ही है।
- चाँद का वजन लगभग 81,00,00,00,000(81 अरब) टन है।
- पूरा चाँद आधे चाँद से 9 गुना ज्यादा चमकदार होता है।
- अगर आप का वजन धरती पर 60 किलो है तो चाँद की low gravity की वजह से चाँद पर आपका वजन 10 किलो ही होगा।
- पृथ्वी का वजन चाँद से 80 गुना ज्यादा है।
- चाँद 27 दिन, 7 घंटे, 43 मिनट, 11.6 सेकेण्ड में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करता है।
- चंद्रमा पृथ्वी से हर साल 3.78 सेमी दूर होता जा रहा है और अगले लगभग 50 अरब साल तक ऐसा ही होता रहेगा।
- चन्द्रमा की आयु 4.6 विलियन वर्ष आंकी गई है।
- जब सारे अपोलो अंतरिक्ष यान चाँद से वापिस आए तब वह कुल मिलाकर 296 चट्टानों के टुकड़े लेकर आए जिनका द्रव्यमान(वजन) 382 किलो था।
- चाँद धरती के ईर्ध-गिर्द घूमते समय अपना सिर्फ एक हिस्सा ही धरती की तरह रखता है इसलिए चाँद का दूसरा पासा आज तक धरती से किसी मनुष्य ने नही देखा।
- चाँद का सिर्फ 59 प्रतिशत हिस्सा ही धरती से दिखता है।
- चंद्रमा से प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में 1.3 सेकेंड का समय लगता है।
- ब्रह्मण्ड में मौजूद (ज्ञात) सभी 63 उपग्रहों में से चांद आकार में 5 वें नंबर पर आता है।
- चन्द्रमा पर 14 दिनों का दिन और 14 दिनों की ही रात होती है। क्योंकि चन्द्रमा पृथ्वी की परिक्रमा 28 दिनों में करता है।
- चाँद पर मौजूद काले धब्बों को चाइना (चीन) में मेढ़क कहा जाता है।
- चंद्रमा की उंची चोंटी मानस हुयगोनस (Mans Huygons) है जिसकी तकरीवन लंबाई 4700 मीटर है।
- चंद्रमा का सबसे बड़ा क्रेटर Meri Imbrium) है जिसका व्यास 1250 कि.मी.है।
- ये जानकर हैरानी होगी कि आपके मोबाइल फोन में अपोलो 11 यान के चंद्रमा लैंडिग के समय यूज किये गए कंप्यूटर की तुलना में अधिक कंप्यूटिंग शक्ति है।
- Apollo-11 यान का चंद्रमा लैंडिग के समय बनाया गया Original टेप मिट गया था यह गलती से दोबारा इस्तेमाल कर लिया था।
- अमेरिकी सरकार ने चांद पर आदमी भेजने और ओसामा बिन लादेन को ढूंढने में बराबर टाइम और पैसा खर्च किया : 10 साल और 100 बिलियन $.
- चंद्रमा पर 6 झंडे गाढ़े जा चुके हैं जिनमें से 5 अभी भी गढे हुए हैं।
- बुज एल्ड्रिन (Buzz Aldrin) चंद्रमा पर पेशाब करने वाले पहले व्यक्ति हैं।
- अन्तरिक्ष में जाने वाला पहला भारतीय राकेश शर्मा है।
- चंद्रमा की मिटटी में बारूद जैसी गंध आती है।
- चंद्रमा पर जाने वाले वैज्ञानिकों को आइसलैंड में ट्रेनिंग दी जाती है।
(Note:- चन्द्रमा के सतह का तापमान आपलोगों को अलग-अलग बुकों में अलग-अलग आँकड़े मिलेंगे जैसे:- भुगोल (वैकल्पिक विषय):- किरण प्रकाशन पेज संख्या - 7 पर, दिन तापमान 110 डिगरी सेलसियस तथा रात्री में -170 डिगरी सेलसियस; खगोलकी- एस.के.ओझा:- पेज 84 पर, दिन में 134-170 डिगरी सेलसियस रात्री में -137 डिगरी सेलसियस; भौतिक भूगोल- माजिद हुसैन :- पेज 17 पर, दिन में 100 डिगरी सेलसियस रात्री में -173 डिगरी सेलसियस; वैकल्पिक भूगोल- क्रोनिकल :- पेज 15 पर, दिन 100 डिगरी सेलसियस, रात्री में -180 डिगरी सेलसियस, और ऐसे कई बुक हैं जहाँ आप लोगों को अलग-अलग आँकड़े मिलेगें, लेकिन अगर Exam. इसमें से अगर विकल्प दिया जाए तो, चन्द्रमा का तापमान (Temperature) दिन के समय 100 डिगरी सेलसियस से अधिक, रात का तापमान -180 डिगरी सेलसियस ही सही होगा।)