‘वृद्धजनों की आय सुरक्षा’ हेतु कुछ सकारात्मक नीतियों को सुझाने के लिये वर्ष 1999 में भारत सरकार द्वारा ‘वृद्धावस्था सामाजिक और आय सुरक्षा परियोजना’ [Old Age Social and Income Security (OASIS) Project] प्रारंभ किया गया, जिसकी अनुशंसाओं के आधार पर अगस्त 2003 में केंद्र सरकार द्वारा एक ‘प्रस्ताव’ (Resolution) के माध्यम से Interim Pension Fund Regulatory and Development Authority (IPFRDA) का गठन किया गया। आगे चलकर वर्ष 2013 में संसद द्वारा इस प्राधिकरण को सांविधिक रूप प्रदान करते हुए ‘The Pension Fund Regulatory and Development Authority Act, 2013’ पारित किया गया।
यह इरडा, सेबी, ट्राई आदि के ही समान स्वयं एक विनियामक एजेंसी है, जो केंद्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारियों सहित निजी संस्थान/ संगठन एवं असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों द्वारा सब्सक्राइब्ड एनपीएस को विनियमित (Regulate) करने का कार्य करती है।
पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने कंपनियों के बीच एनपीएस को बढ़ावा देने के अपने प्रयास के तहत देश के विभिन्न स्थानों पर एनपीएस कार्यशालाएँ आयोजित करनी प्रारंभ की है, जिसके तहत हाल ही में इसने फिक्की की महाराष्ट्र राज्य परिषद के साथ मिलकर मुंबई में एक कॉरपोरेट सम्मेलन का आयोजन किया गया। गौरतलब है कि एनपीएस-प्राइवेट क्षेत्र के अंतर्गत 6 मार्च, 2018 तक 13.16 लाख से अधिक ग्राहक पंजीकृत किये जा चुके हैं तथा यह कंपनियों के लिये एक प्रभावी मंच हो सकता है, जिसके ज़रिये कंपनियाँ अपने कर्मचारियों को पेंशन प्रदान कर वृद्धावस्था में उनकी आय संबंधी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती हैं।
पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) ने कंपनियों के बीच एनपीएस को बढ़ावा देने के अपने प्रयास के तहत देश के विभिन्न स्थानों पर एनपीएस कार्यशालाएँ आयोजित करनी प्रारंभ की है, जिसके तहत हाल ही में इसने फिक्की की महाराष्ट्र राज्य परिषद के साथ मिलकर मुंबई में एक कॉरपोरेट सम्मेलन का आयोजन किया गया। गौरतलब है कि एनपीएस-प्राइवेट क्षेत्र के अंतर्गत 6 मार्च, 2018 तक 13.16 लाख से अधिक ग्राहक पंजीकृत किये जा चुके हैं तथा यह कंपनियों के लिये एक प्रभावी मंच हो सकता है, जिसके ज़रिये कंपनियाँ अपने कर्मचारियों को पेंशन प्रदान कर वृद्धावस्था में उनकी आय संबंधी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकती हैं।