कुछ समय पहले 18 मार्च को पृथ्वी पर एक बड़े भू-चुंबकीय तूफान (Geomagnetic Storm) आने की आशंका संबंधी रिपोर्ट चर्चा का विषय बनी हुई है। हालाँकि, इस संबंध में राष्ट्रीय समुद्रीय और वायुमंडलीय प्रशासन (National Oceanic and Atmospheric Administration –NOAA) द्वारा की गई जाँच में यह पाया गया कि इन रिपोर्टों का कोई आधार नहीं है, यह एक बेबुनियादी जानकारी है।
भू-चुंबकीय तूफान
➤ पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में होने वाले बड़े विक्षोभों को भू-चुंबकीय तूफान कहते हैं। इसके दौरान पृथ्वी की ओर होना वाला सौर विकिरण सामान्य स्तर से काफी अधिक होता है।
➤ यह विकिरण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से संपर्क करते हुए एक भू-चुंबकीय तूफान उत्पन्न करता है।
➤ भू-चुंबकीय तूफानों की तीव्रता ध्रुवीय प्रकाश के क्षेत्रों में सबसे अधिक होती है।
भू-चुंबकीय तूफानों का वर्गीकरण
➤ सबसे कमजोर भू-चुंबकीय तूफान (G1) का प्रभाव यह होता है कि इससे उपग्रह के संचालन में मामूली असर पड़ता है तथा पावर ग्रिड में हल्के उतार-चढ़ाव आते हैं। साथ ही इससे ध्रुवीय ज्योति की परिघटना भी घटित हो सकती है।
➤ अपनी चरमावस्था में (G5) प्रभाव यह होता है कि कुछ ग्रिड सिस्टम के क्षीण होने अथवा ब्लैकआउट होने के साथ वोल्टेज नियंत्रण की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। रेडियो तरंगों का संचरण बाधित हो सकता है और ध्रुवीय ज्योति को अपेक्षाकृत सामान्य से निम्न अक्षांश पर भी देखा जा सकता है।