➣ नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में इंटरनेशनल सोलर अलायंस (आईएसए) के पहले समिट की शुरुआत हो गई। समिट का उद्घाटन फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने किया।
➣ समिट में फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका समेत 23 देशों के राष्ट्राध्यक्ष, 10 देशों के मंत्री और 121 देशों के प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं।
➣ इसे दुनिया के सोलर एनर्जी सेक्टर में भारत और फ्रांस की बड़ी पहल माना जा रहा है। तीन साल पहले गुड़गांव में आईएसए के हेडक्वार्टर की नींव रखी गई थी।
➣ समिट की शुरुआत के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 2022 तक भारत रिन्युएबल सोर्स से 175 गीगावाट बिजली पैदा करेगा, जिसमें से 100 गीगावाट बिजली सोलर एनर्जी से पैदा की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि देश में पिछले तीन सालों में 28 करोड़ एलईडी बल्ब का वितरण किया गया, जिससे 4 गीगावाट बिजली और 13 हजार करोड़ रुपए की बचत हुई।
➣ पीएम मोदी ने यह भी कहा कि ISA के लिए भारत की प्रतिबद्धता के चलते भारत ISA के सदस्य राष्ट्रों के लिए 500 ट्रेनिंग स्लॉट उपलब्ध कराएगा। साथ ही सोलर सेक्टर में रिसर्च एंड डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के लिए सोलर टेक मिशन की भी शुरुआत की जाएगी।
पेश किए 10 एक्शन पॉइंट्स
➣ समिट में प्रधानमंत्री ने एनर्जी के क्षेत्र में सोलर बिजली की हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिए 10 एक्शन पॉइंट्स रखे। इनमें सभी देशों को अफोर्डेबल सोलर टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराया जाना, फोटोवोल्टाइक सेल्स से उत्पन्न बिजली की हिस्सेदारी बढ़ाना, रेगुलेशंस और स्टैंडर्ड्स की फ्रेमिंग, बैंकेबल सालर प्रोजेक्ट्स के लिए कंसल्टेंसी सपोर्ट और इस सेक्टर में एक्सीलेंस के लिए कई सेंटर निर्मित किए जाना शामिल रहा।
➣ 2030 तक 1000 गीगावाट से ज्यादा सोलर जनरेशन क्षमता और 1 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा का इन्वेस्टमेंट जुटाने के ISA के लक्ष्य को हासिल करने के लिए पीएम मोदी ने सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए रियायती फाइनेंसिंग और कम जोखिम वाले फंड उपलब्ध कराए जाने का भी आवाह्न किया।
क्या है इंटरनेशनल सोलर अलायंस
➣ 30 नवंबर 2015 को पैरिस में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांस्वां ओलांद ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस (आईएसए) की घोषणा की थी।
➣ इसके लिए उन 121 देशों की लिस्ट तैयार की गई, जहां साल भर में कम से कम 300 दिन तक सूरज निकलता है। इन देशों को एक मंच पर लाने का जिम्मा भारत ने संभाला और 25 जनवरी 2016 को भारत में आईएसए हैडक्वार्टर का फाउंडेशन स्टोन रखा गया और यहीं से आईएसए का अंतरिम सचिवालय ने काम शुरू कर दिया है।
1 लाख करोड़ डॉलर फंड का टारगेट
➣ इंटरनेशनल सोलर अलायंस (आईएसए) का टारगेट है कि आईएसए से जुड़े देशों में सोलर पावर का उत्पादन बढ़ाने के लिए वर्ष 2030 तक एक लाख करोड़ डॉलर का फंड इकट्ठा किया जाएगा। भारत ने इस फंड में 100 करोड़ रुपए देने का वादा किया है।
➣ एक लाख करोड़ डॉलर के कॉरपस के ब्याज से इंटरनेशनल सोलर एलायंस के प्रशासनिक खर्चे पूरे किए जाएंगे। इस कॉरपस में 50 फीसदी फंड पब्लिक सेक्टर और 50 फीसदी फंड प्राइवेट सेक्टर से इकट्ठा किया जाएगा। इस एलायंस में शामिल होने वाले देशों से मेंबरशिप फीस ली जाएगी और इस फंड से सोलर पावर को प्रमोट करने के लिए अलग-अलग देशों में ग्लोबल रिन्यूएबल एनर्जी इनवेस्टमेंट मीट का आयोजन किया जाएगा।
➣ इसके साथ-साथ वर्ल्ड बैंक, एडीबी, ब्रिक्स बैंक जैसी एजेंसियों से कम दर पर लोन लिया जाएगा। भारत सरकार ने वर्ल्ड बैंक से अपील की है कि वे क्लीन एनर्जी के लिए अलग से फंड क्रिएट करे और उसे सस्ती दर पर दे।
100 गीगावॉट सोलर एनर्जी प्राप्त करने का लक्ष्य
➣ देश के लिए यह समिट विशेष महत्व है क्योंकि भारत 2022 तक सोलर एनर्जी से 175 गीगावॉट रिन्यूएबल एनर्जी जेनरेट करने का लक्ष्य रखा है जिसमें 100 गीगावॉट सोलर एनर्जी से प्राप्त करना है।
फिलहाल, भारत चार प्रकार के सोलर पावर वाले प्रोजेक्ट्स- ऑफ-ग्रिड पावर सप्लाई हब्स, स्ट्रीट लाइटिंग, इरीगेशन, ग्रीन बिल्डिंग्स के अलावा हर रोज उपयोग होने वाले प्रोडक्ट जैसे सोलर कुकर्स आदि की तलाश में है।
चीन, पाकिस्तान और यूएस शामिल नहीं
इस अलायंस में चीन, पाकिस्तान और अमेरिका को शामिल नहीं किया गया है। अमेरिका ने जर्मनी में इंटरनेशनल सोलर अलांयस के कंसेप्ट से ही हाथ खींच लिए थे। वहीं, भारत द्वारा पहल करने के कारण चीन और पाकिस्तान भी इससे दूर ही रहे। भारत की कोशिश है कि इंटरनेशनल सोलर अलायंस के जरिए वे सोलर प्रोडक्शन करने वाले देशों का नेतृत्व करे। इससे जहां 2022 तक 1 लाख मेगावाट सोलर पावर जनरेशन का टारगेट हासिल होगा, वहीं दुनिया में भी भारत का सिक्का जमेगा।