भारत के मशहूर आर्किटेक्ट बालकृष्ण दोशी को 07 मार्च 2018 को ‘प्रित्जकर’ पुरस्कार के लिए चुना गया है। यह पुरस्कार आर्किटेक्चर क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने वालों को दिया जाता है।
बालकृष्ण दोशी को विदेशी परंपरा के मुताबिक इमारत का निर्माण करने और उसी दौरान अपने गृह क्षेत्र के लोगों के जीवनस्तर में सुधार लाने के लिए प्रित्जकर पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। बालकृष्ण दोशी प्रित्जकर पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय हैं। बालकृष्ण दोशी को यह पुरस्कार मई के महीने में टोरंटो में दिया जाएगा।
बालकृष्ण दोशी का आर्किटेक्ट के क्षेत्र में काम
- बालकृष्ण दोशी ने हमेशा संजीदा वास्तुकलाएं बनाई हैं। उनके डिजायन हमेशा आम चलन से अलग रहे हैं।
- बालकृष्ण दोशी ने बहुत सारे काम किए हैं जिनमें कॉम्प्लेक्स, आवासीय योजना, सार्वजनिक स्थल, गलियारे और निजी आवास शामिल हैं।
- बालकृष्ण ने हमेशा यह दिखाया है कि अच्छी वास्तुकला और शहरी योजना में उद्देश्य और ढांचे के साथ-साथ इसे बनाने के समय जलवायु, स्थान, तकनीक, कारीगरी और हस्तकला का भी ध्यान रखना चाहिए।
- उन्होंने बेंगलुरू के एक टॉप मैनेजमेंट स्कूल की बिल्डिंग डिजाइन की है।
- उनका काम उनके जीवन, दर्शन और सपनों का विस्तार है जो मिलकर एक अलग तरह की वास्तुकला बनाने की कोशिश करता हैं।
- वर्तमान में वे चंडीगढ़ शहर के डिजाइन पर काम कर रहे हैं।
बालकृष्ण दोशी के बारे में
- बालकृष्ण दोशी का जन्म 26 अगस्त 1927 को पुणे में हुआ था।
- बालकृष्ण दोशी ने वर्ष 1947 में मुंबई के सर जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से पढ़ाई की।
- उन्होंने आधुनिक वास्तुकला के ख्यातिप्राप्त स्विस-फ्रेंच आर्किटेक्चर ली करबुसिएर के साथ भी काम किया।
- उन्होंने वर्ष 1955 में अपने स्टूडियो वास्तु-शिल्प की स्थापना की।
- उन्होंने लुईस काह्न और अनंत राजे के साथ मिलकर अहमदाबाद के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के कैंपस को डिजायन किया।
प्रित्जकर पुरस्कार के बारे में
- प्रित्जकर पुरस्कार को वास्तुकला की दुनिया का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है।
- इस पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1979 में की गई थी।
- इससे पहले दुनिया के मशहूर आर्किटेक्ट जाहा हदीद, फ्रैंक गहरी, आईएम पेई और शिगेरू बान के नाम शामिल हैं।
- उन्हें पुरस्कार के तौर पर करीब 65 लाख रुपये दिए जाएंगे।