Monday, 19 March 2018

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट की खोज में भारत के समक्ष आने वाली बाधाओं पर चर्चा कीजिए? (UPSC-2015)


भारत काफी समय से संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में स्थाई सीट के लिए दावेदारी पेश करता आया है। यद्यपि भारत अपनी आर्थिक सक्षमता, विशाल जनसंख्या, लोकतांत्रिक प्रणाली, तथा शांति सेना में भागीदारी के कारण सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता का पात्र है तथापि इसमें अनेक अड़चनें हैं।

एक तरफ जहां फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देश भारत की सदस्यता का समर्थन करते हैं तथापि अमेरिका और चीन आमतौर पर इसका विरोध करते आए हैं। क्योंकि यह सभी देश सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य हैं अतः किसी भी निर्णय पर सारे स्थाई सदस्यों की सहमति होना आवश्यक है अतः सुरक्षा परिषद का सन्निकट विस्तार दूर की कौड़ी नजर आती है। 

भारत के द्वारा प्रस्तावित टेक्ट आधारित समझौता वार्ता को चीन और रूस पहले ही खारिज कर चुके हैं। दूसरी तरफ यूएफसी देश पाकिस्तान मेक्सिको इटली और मिस्र भी इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है।

सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता के दावेदार अन्य देश जैसे इटली मेक्सिको अर्जेंटीना तथा पाकिस्तान भी भारत की स्थाई सदस्यता का विरोध करते हैं। हालांकि जी4 देश (भारत जर्मनी ब्राजील तथा जापान) ने एक दूसरे का समर्थन किया है। अगर कोई विस्तार भी होता है तो अफ्रीका महादेश से किसी भी देश का स्थाई सदस्य ना होना तथा एशिया से चीन का स्थाई सदस्य होना भारत की दावेदारी को कमजोर करता है।

भारत की स्थाई सदस्यता के मार्ग में बाधक तत्व में भारत का परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर ना करना तथा चीन और पाकिस्तान के साथ काफी समय से उलझा हुआ सीमा विवाद भी है।

अगर भारत सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता चाहता है तो जल्द से जल्द इन मुद्दों को सुलझाने का प्रयास इसे करना चाहिए।