केंद्र सरकार द्वारा अप्रैल 2018 से देश में भू-जल संरक्षण तथा इसका स्तर बढ़ाने के लिये एक महत्त्वाकांक्षी ‘अटल भू-जल योजना’ शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है।
प्रमुख बिंदु
➤ इस योजना हेतु 6000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसमें विश्व बैंक और केंद्र सरकार की हिस्सेदारी क्रमश: 50:50 प्रतिशत की रहेगी।
➤ इस योजना को गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, कर्नाटक, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में जल की कमी वाले क्षेत्रों हेतु प्रस्तावित किया गया है।
➤ इसके अंतर्गत इन प्रदेशों के 78 जिलों, 193 ब्लॉकों और 8350 ग्राम पंचायतों को शामिल किया जाएगा।
आवश्यकता क्यों?
➤ केंद्रीय भूजल बोर्ड की विगत वर्ष की रिपोर्ट के अनुसार, देश के 6584 भूजल ब्लॉकों में से 1034 ब्लॉकों का अत्यधिक उपयोग किया गया है। इसे ‘डार्क जोन’ अर्थात् पानी के संकट की स्थिति के रूप में संबोधित किया जाता है।
➤ जल संसाधन मंत्रालय द्वारा प्रदत्त आँकड़ों के अनुसार, भारत में जल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता वर्ष 1951 में 5177 घनमीटर से घटकर वर्ष 2011 में 1545 घनमीटर रह गई है। इसका एक अहम कारण वार्षिक जल उपलब्धता (आपूर्ति) से अधिक जल के उपभोग पर उचित एवं प्रभावी नियंत्रण की कमी होना है।
➤ ध्यातव्य है कि राष्ट्रीय जल मिशन के तहत भी देश के 11 राज्यों-आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल को कार्य निष्पादन आधारित जल संचालन के उद्देश्य मॉडल के तौर पर तैयार करने की पहल की गई है।