Tuesday, 13 March 2018

बोल्शेविक क्रांति के कारण, परिणाम और महत्त्व पर चर्चा करें


रूस में 1917 में हुई क्रांति को ही बोल्शेविक क्रांति कहा जाता है, क्योंकि बोल्शेविक नामक राजनीतिक समूह ने इस क्रांति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और क्रांति की दशा एवं दिशा निर्धारित की थी।

बोल्शेविक क्रांति के कारण
  • रूस के जार निकोलस द्वितीय का स्वेच्छाचारी शासन इस क्रांति के उत्तरदायी कारणों में सबसे महत्त्वपूर्ण था।
  • रूस और जापान के बीच 1904-05 में हुए युद्ध में छोटे समझे जाने वाले जापान से रूस की पराजय से सरकार की अकर्मण्यता जनता के समक्ष उजागर हुई।
  • 1905 में प्रार्थना पत्र देने जा रही भीड़ पर अंधाधुंध गोली चलाना।
  • कुस्तुंतुनिया और दादनिल्स पर कब्जा करने हेतु ज़ार की साम्राज्यवादी आकांक्षा के कारण रूस का प्रथम विश्वयुद्ध में शामिल होना।
  • इसके अतिरिक्त राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार ने जनता को अतिशय कष्ट पहुँचाया, भोजन की कमी, सैनिकों के प्रति सरकार की बेरुखी आदि ऐसे मुद्दे थे जिसने रूस को क्रांति पर ला खड़ा किया।

परिणाम
  • रूसी क्रांति के परिणामस्वरूप सर्वप्रथम निरंकुश-तंत्र, अभिजात वर्ग और चर्च की शक्ति का अंत हो गया।
  • जार  के राज्य का अंत कर उसे सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ में बदल दिया गया।
  • राज्य की आर्थिक नीतियों को समाजवादी आदर्शों के माध्यम से चलाने का प्रयास किया गया।
  • काम करने के अधिकार को संवैधानिक अधिकार बनाया गया और सबको कार्य उपलब्ध कराना सरकार का कर्त्तव्य हो गया।
  • प्रथम विश्वयुद्ध समाप्त हो गया, क्योंकि न केवल बोल्शेविक बल्कि संपूर्ण यूरोप के समाजवादी संगठन युद्ध के विरुद्ध थे।

महत्त्व

इस क्रांति ने रूस को विश्व शक्ति के रूप में उभारा। रूस में सर्वहारा वर्ग का उदय हुआ, जिसने पूंजीवाद का विरोध किया। इसके परिणामस्वरूप विश्व के विभिन्न देशों में वर्ग विहीन समाज की स्थापना को प्रोत्साहन मिला।