Saturday, 17 March 2018

कुसुम योजना

किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान अथवा कुसुम (Kisan Urja Surksha evam Utthaan Mahaabhiyan - KUSUM) योजना के लिये बजट 2018-19 में दस वर्षों के लिये 48000 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं।

उद्देश्य

➤ विकेंद्रित सौर ऊर्जा उत्पादन को प्रोत्साहन।

संप्रेषण नुकसान में कमी।

➤ कृषि क्षेत्र के सब्सिडी भार को कम करके बिजली वितरण कंपनियों को वित्तीय समर्थन।

➤ RPO (Renewable Purchase Obligation) लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये राज्यों को समर्थन।

➤ ऑफ ग्रिड और ग्रिड से जुड़े सौर जल-पंपों के माध्यम से निश्चित जल संसाधन जुटाकर किसानों को जल सुरक्षा प्रदान करना।

➤ राज्य के सिंचाई विभागों की सिंचाई क्षमता के उपयोग के लिये विश्वसनीय रूप से ऊर्जा प्रदान करना।

➤ रूफ टॉप तथा बड़े पार्कों के बीच माध्यमिक दायरे में सौर बिजली उत्पादन की रिक्तता को भरना।


भारत सरकार कुसुम योजना को अंतिम रूप देने के चरण में है जो अन्य बातों के साथ निम्नलिखित लाभ प्रदान कराएगी-

➤ ग्रामीण क्षेत्रों में 2 मेगावाट तक की क्षमता वाले ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना।

➤ ग्रिड से नहीं जुड़े किसानों की सिंचाई की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये स्टैंडअलोन ऑफ-ग्रिड सौर जल-पंपों की स्थापना।

➤ किसानों को ग्रिड की आपूर्ति से स्वतंत्र बनाने के लिये ग्रिड से जुड़े मौजूदा कृषि पंपों का सौर्यीकरण (Solarization)।

➤ सिंचाई आवश्यकताओं के लिहाज़ से दूरदराज़ के क्षेत्रों में स्थापित किये जाने वाले इन सौर जल-पंपों से अतिरिक्त सौर ऊर्जा को डिस्कॉम्स को बेचकर किसान के लिये आय के अतिरिक्त स्रोत का निर्माण। 

➤ सरकारी क्षेत्र के ट्यूबवेलों और लिफ्ट सिंचाई परियोजनाओं का सौर्यीकरण।

➤ इस योजना में बंजर और व्यर्थ भूमि पर सौर संयंत्र स्थापित किये जाने से इनका बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा।

➤ इस योजना के सफल क्रियान्वयन से जल संरक्षण, जल सुरक्षा और ऊर्जा दक्षता जैसे लाभ भी प्राप्त होंगे।