महासागरीय व्यापार
हिंद महासागर वैसे तो तीसरा सबसे बड़ा महासागर (प्रथम-प्रशांत, द्वितीय अटलांटिक) है किंतु दुनिया के कंटेनर जहाजों का आधा, थोक कार्गो का एक-तिहाई तथा विश्व के तेल नौवहन का दो-तिहाई यातायात इसी महासागर के माध्यम से होता है। यह महासागर अंतरराष्ट्रीय व्यापार एवं परिवहन की जीवन रेखा है।
हिंद महासागर परिधि क्षेत्र
हिंद महासागर परिधि क्षेत्र (Indian Ocean Rim Region) में उन देशों को शामिल किया जाता है जिनके तटों को इस महासागर का जल प्रक्षालित करता है। इस क्षेत्र में 2 अरब लोग अधिवासित हैं। यह सांस्कृतिक विविधता, भाषाओं, धर्मों, परंपराओं, कला एवं व्यंजनों से समृद्ध क्षेत्र है। यह क्षेत्र अनेक उपक्षेत्रों यथा- ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण-पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया तथा पूर्वी एवं दक्षिणी अफ्रीका में विभाजित है जिनके स्वयं के क्षेत्रीय समूह आसियान, सार्क, खाड़ी सहयोग परिषद, एस.ए.डी.सी. आदि हैं। इन विभिन्नताओं एवं विविधताओं के बावजूद ये देश हिंद महासागर द्वारा एकबद्ध हैं। शताब्दियों से अन्वेषकों, तीर्थ यात्रियों, मछुआरों, व्यापारियों ने हिंद महासागर को पार किया है तथा पारस्परिक संचार नेटवर्क की स्थापना कर क्षेत्र में आर्थिक एवं सांस्कृतिक संबंधों को विकसित किया है।
हिंद महासागर परिधि संघ (IORA)
मार्च, 1995 में अपनी भारत यात्रा के दौरान डॉ. नेल्सन मंडेला ने कहा था-‘‘इतिहास एवं भूगोल के तथ्यों की स्वाभाविक प्रेरणा को विस्तार प्रदान करके इसमें सामाजिक-आर्थिक सहयोग एवं अन्य शांतिपूर्ण प्रयासों के लिए हिंद महासागर परिधि (Indian Ocean Rim) की अवधारणा को शामिल किया जाना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के हालिया बदलावों की मांग है कि हिंद महासागर के देश एक मंच पर आएं।’’ ऐसी ही भावनाओं और तर्काधार पर 29-31 मार्च, 1995 को मॉरीशस में हिंद महासागर के देशों को एक मंच पर लाने की पहल की गई और 2 वर्ष बाद 7 मार्च, 1997 को यहीं पर संपन्न प्रथम मंत्रिस्तरीय बैठक में हिंद महासागर रिम संघ (Indian Ocean Rim Association:IORA) की स्थापना की गई। वर्तमान में इसमें 21 सदस्य देश तथा 7 संवाद भागीदार हैं। संघ के 2 पर्यवेक्षक अंग IORG एवं IOTO हैं। संघ का मुख्यालय साइबर सिटी, इबेन, मॉरीशस में है। भारत के के.वी. भगीरथ IORA के वर्तमान महासचिव हैं।
विदेश मंत्रिपरिषद
हिंद महासागर परिधि संघ (IORA) का सर्वोच्च प्राधिकार सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की परिषद में निहित है। विदेश मंत्रियों की बैठक वर्ष में एक बार (आपसी सहमति से एक बार से अधिक भी) होती है जिसमें नीति-निर्माण, सहयोग के क्षेत्रों में प्रगति-समीक्षा एवं नए निर्णय किए जाते हैं। विदेश मंत्रियों की परिषद एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष का चयन करती है जिनका कार्यकाल 2 वर्ष होता है। विदेश मंत्रियों की परिषद की अब तक (2016 तक) कुल 16 बैठकें आयोजित हो चुकी हैं। 17वीं बैठक अक्टूबर, 2017 में दक्षिण अफ्रीका में प्रस्तावित है।
प्रथम शिखर सम्मेलन
7 मार्च, 2017 को हिंद महासागर परिधि संघ (IORA) की स्थापना के 20 वर्ष पूर्ण हुए हैं। इस अवसर पर पहली बार संघ का शिखर सम्मेलन (Leader’s Summit) आयोजित किया गया।
शिखर सम्मेलन, 5-7 मार्च, 2017 के मध्य इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में संपन्न हुआ। शिखर सम्मेलन का मुख्य विषय ‘एक शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध हिंद महासागर के लिए समुद्री सहयोग को सदृढ़ बनाना’ (Strengthening Maritime Co-operation for a Peacefull, Stable and Prosperous Indian Ocean) था। सम्मेलन की अध्यक्षता इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने किया। सम्मेलन में हिंद महासागर परिधि संघ के 21 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों तथा 7 संवाद भागीदारों ने हिस्सा लिया।
शिखर सम्मेलन के मुख्य निर्णय
शिखर सम्मेलन के दौरान तीन दस्तावेजों को अपनाया गया। पहला आईओआरए कॉनकॉर्ड था जिसे नेताओं द्वारा हस्ताक्षरित किया गया था और भविष्य के लिए आईओआरए के दृष्टिकोण को वर्णित किया था, समुद्री सुरक्षा एवं रक्षा पर 21 आईओआरए सदस्य देशों के बीच सहयोग पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित किया गया था। दो अन्य अंगीकृत दस्तावेजों में ‘‘हिंसक चरमपंथ को रोकने और आतंकवाद का मुकाबला करने के बारे में घोषणा’’ और ‘‘अगले 5 वर्षों के लिए आईओआरए की कार्ययोजना’’ शामिल थी। भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने संघ की 20वीं वर्षगांठ के अवसर पर जकार्ता में 7 मार्च, 2017 को आयोजित प्रथम भारतीय महासागर रिम एसोसिएशन (आईओआरए) के नेताओं के शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
इस शिखर सम्मेलन में मंत्रिपरिषद की बैठक और वरिष्ठ आधिकारिक समिति की बैठक शामिल थी। विदेश राज्य मंत्री (डॉ.) वी.के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने मंत्रिपरिषद में भाग लिया जबकि एमईए में सचिव (ईआर) श्री अमर सिन्हा ने वरिष्ठ अधिकारियों की समिति में वार्ता का नेतृत्व किया। आईओआरए शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने भारत के तटीय शहरों में से एक में एक आईओआरए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (आईसीई) स्थापित करने की पेशकश की। समुद्री पक्ष पर, भारत ने समुद्री सूचना जागरूकता (एमडीए) के समन्वय के लिए सूचना फ्यूजन केंद्र की संस्था की पेशकश की और हाइड्रोग्राफी के क्षेत्र में सभी सदस्य राज्यों के सहयोग को बढ़ाने की पेशकश की।
उपराष्ट्रपति ने साइबर सुरक्षा पर आईओआरए सहयोग तंत्र की संस्थागन के लिए सभी सदस्य राज्यों से अनुरोध किया है। सम्मेलन में 20 वर्षों की यात्रा से संबंधित फोटो प्रदर्शनी तथा ‘अतीत से सीखना, भविष्य का संचित्रण’ (Learning to the Past, Charting the Future) नामक पुस्तक का अनावरण किया गया।
इस वर्ष जकार्ता में एक उच्चस्तरीय शिखर सम्मेलन के आयोजन के निर्णय ने निःसंदेह संघ के महत्व की प्रस्थापना की है। राष्ट्र प्रमुखों की उपस्थिति में संघ ने समुद्री सुरक्षा, मत्स्य पालन प्रबंधन, आपदा राहत और मानवीय सहायता व्यक्ति-व्यक्ति आदान-प्रदान, व्यापार एवं निवेश, पर्यटन तथा अनेक क्षेत्रीय महत्व के मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित किया। इस प्रथम शिखर सम्मेलन ने दो दशक पुराने मंच को उद्देश्यपूर्ण बना दिया है अब सवाल यह है कि सदस्य राष्ट्र गति को बनाए रखने के लिए आगे भी शिखर सम्मेलन आयोजित करते रहेंगे या फिर यह 20 वर्ष पूर्ण होने पर रस्म अदायगी भर है।
हिंद महासागर परिधि संघ
सदस्य देश- भारत, ऑस्ट्रेलिया, केन्या, मॉरीशस, ओमान, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश, कॉमोरोस, इंडोनेशिया, ईरान, मेडागास्कर, मलेशिया, मोजाम्बिक, सेशेल्स, सोमालिया, श्रीलंका, तंजानिया, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात तथा यमन।
संवाद भागीदार:- चीन, फ्रांस, जापान, अमेरिका, मिस्र, जर्मनी एवं ब्रिटेन।
पर्यवेक्षक
1. हिंद महासागर अनुसंधान समूह (Indian Ocean Research Group:IORG)
2. हिंद महासागर पर्यटन संघ (Indian Ocean Tourism Organisation:IOTO)
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