Monday, 17 April 2017

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति


पिछले एक दशक में भारत ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। इस बीच बच्चों को समय-समय पर पोलियो वैक्सीन की खुराक देने के लिए एक व्यापक और परिष्कृत प्रणाली का निर्माण किया गया। शिशु एवं मातृ मृत्यु दर में एक तिहाई से अधिक की गिरावट आई। दवाओं के निर्माण के क्षेत्र में भी भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है। उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं के साथ-साथ अब भारत दुनिया भर में आपूर्ति की जाने वाली जेनेरिक दवाइयों का 20% निर्यात करने में सक्षम है।इन उपलब्धियों के बावजूद हम और बेहतर कर सकते हैं। स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च को कम किया जा सकता है। इससे नागरिकों को स्वास्थ्य संबंधी खर्च के जोखिम से भी बचाया जा सकता है। भारत के प्रत्येक नागरिक को स्वास्थ्य और उत्पादक जीवन मुहैया कराने के उद्देश्य से ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति लाई गई है। राज्य सरकारों एवं अन्य हितधारकों के साथ विचार-विमर्श करके तैयार की गई यह स्वास्थ्य नीति रोगों के रोकथाम और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में निवेश करने, प्रौद्योगिकी तक पहुंच, मानव संसाधन विकसित करने, उत्तम स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और इस क्षेत्र में आर्थिक सुरक्षा एवं नियमन के लक्ष्य को लेकर चलेगी। यह नीति समाज के पिछड़े और वंचितों पर विशेष ध्यान देते हुए सभी को अच्छे स्वास्थ्य देने के लिए प्रतिबद्ध होगी। कई क्षेत्रों में हमारी उल्लेखनीय प्रगति ने हमें उन स्वास्थ्य सेवाओं की आवश्यकताओं को प्राप्त करने योग्य स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है, जिन्हें अभी तक हम प्राप्त नहीं कर पाए हैं। इनमें सबसे पहले मातृ एवं बाल स्वास्थ्य सेवाएं आती हैं। तत्पश्चात् आपालकालीन सेवाओं के साथ-साथ सार्वभौमिक स्वास्थ्य बीमा देने के लिए बुनियादी ढांचे एवं क्षमताओं की मजबूती आती है।
भविष्य की स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत आधार देने के लिए चार प्रकार के निवेश का प्रावधान रखा गया है
  • पहले चरण में रोगों की रोकथाम, अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रेरणा एवं उच्च गुणवत्ता वाली व्यापक प्राथमिक चिकित्सा पर ध्यान देने की योजना है। इस चरण की प्राथमिकता बीमारी से दूर स्वस्थ जीवन देना होगी। अंतरक्षेत्रीय कार्यक्रमों एवं ‘स्वस्थ नागरिक अभियान‘ के अंतर्गत सात ऐसे क्षेत्रों की पहचान की गई है, जिस माध्यम से लोगों को अस्पताल की चिकित्सा सुविधाओं पर निर्भर रहने के बजाय स्वस्थ और रोगमुक्त जीवन जीने में मदद मिल सके।
  • इस स्वास्थ्य नीति के माध्यम से अब स्वास्थ्य सेवाओं को चुनी हुई प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं से सुनिश्चित प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं पर स्थानांतरित कर दिया जाएगा। इसमें असंक्रामक रोगों, मानसिक स्वास्थ्य, वृद्धावस्था देखभाल, पुनर्वास एवं पीड़ा हरने वाली देखभाल, पर खास ध्यान दिया जाएगा।
  • इस नीति में जनस्वास्थ्य खर्च को सकल घरेलू उत्पाद का5% तक करने की सिफारिश की गई है। इस राशि का अधिकतम भाग प्राथमिक स्वास्थ्य में लगाया जाएगा।
  • इस नीति का दूसरा महत्वपूर्ण पक्ष हमारी स्वास्थ्य प्रणालियों को ऐसे मजबूत तरीके से बनाना है, ताकि सभी के लिए किफायती स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध हो सके। व्यापक प्राथमिक चिकित्सा सेवाओं, मुफ्त दवाओं, निदान, सरकारी अस्पतालों में आवश्यक आपातकालीन सेवाओं के लिए मुफ्त ईलाज के साथ-साथ सरकारी वित्तपोषित बीमा कार्यक्रमों के माध्यम से कुशलता पूर्वक खरीद करके इस लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकेगी। भारत के सभी क्षेत्रों में प्रत्येक दस लाख की आबादी पर 2,000 बिस्तरों की उपलब्धता का भी लक्ष्य रखा गया है, जिससे ‘गोल्डन आवर‘ में ही किसी मरीज को उचित ईलाज मिल सके।
  • नागरिकों को सशक्त बनाना और रोगी को उत्तम ईलाज प्रदान करना इस नीति का तीसरा महत्वपूर्ण स्तंभ है। इसके लिए समय-समय पर अस्पतालों का निरीक्षण किया जाएगा एवं गुणवत्ता के आधार पर उन्हें प्रमाणित किया जाएगा।
  • यह नीति विवादों के त्वरित समाधान के लिए एक तंत्र की स्थापना एवं देखभाल के लिए साक्ष्य-आधारित मानक दिशानिर्देशों को विकसित करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा मानक संगठन की स्थापना की सिफारिश करती है।
  • इस नीति में सरकारी अस्पतालों में संसाधन आवंटन को मात्रा, विविधता और मरीजों के प्रकार के प्रति उत्तरदायी बनाया जाएगा।
  • नीति का चैथा स्तम्भ भारत की नवोन्मेष, तकनीक और रासायनिक क्षमता की शक्ति का लाभ उठाने पर केंद्रित है। यह नीति स्थानीय विर्निमाण के माध्यम से स्थानीय स्वदेशी उत्पादों को इस प्रकार से लोगों की पहुँच में लाना चाहती है, जिससे लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से मिल सकें। साथ ही इस क्षेत्र में रोज़गार भी उत्पन्न किए जा सकें।
  • यह नीति राष्ट्रीय स्वास्थ्य सूचनाओं का ऐसा संघीय ढांचा खड़ा करने की सिफारिश करती है, जो मेटाडाटा और डाटा स्टैण्डर्ड के साथ इलैक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्डस् (ईएचआर) का उपयोग करने, आयुष चिकित्सकों द्वारा आयुष सेवाओं के लिए डिजीटल उपकरणों का उपयोग करने, समुदाय के स्तर पर काम करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं एवं परिवारों के स्तर पर सुरक्षात्मक एवं निरोगकारी पद्धतियां चलाने के अनुरूप हो।
  • विशेषरूप से जिन राज्यों में विशेषज्ञ सेवाओं की कमी है, उन राज्यों के जिला अस्पतालों को चिकित्सा महाविद्यालय में बदलने की बात नीति में कही गई है।
  • नीति में टेली परामर्श के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करके तृतीय श्रेणी चिकित्सा संस्थानों को जिले या उपजिले जैसे माध्यमिक सेवा संस्थानों से जोड़ा जा सकेगा। इससे गाँवों के सुदूरतम क्षेत्रों में भी उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच बन सकेगी।
  • ज्ञान और क्षमता में बढ़ोतरी के लिए यह नीति नेशनल नॉलेज नेटवर्क, टेली सीएमई, टेली-परामर्श और डिजीटल लाइब्रेरी के उपयोग को प्रोत्साहन देती है।
  • मृत्यु दर, जीवन प्रत्याशा एवं स्वस्थ जीवन की तुलना में होने वाली बिमारियों, रोगों की रोकथाम के लिए स्वयं को उत्तरदायी मानते हुए भारत सरकार इस नीति के माध्यम से अपने सभी नागरिकों के लिए स्वस्थ भविष्य की आकांक्षा रखती है।
सभी को समान गुणवत्ता वाले स्वास्थ्य के सपने को साकार करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 की घोषणा की गई है। राज्य सरकारों के सहयोग से केंद्र सरकार इस नीति को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत को स्वस्थ व क्षमतावान बनाए रखने के लिए समय-समय पर उपयुक्त साधनों के साथ इसे लागू किया जाता रहेगा।