Saturday, 22 April 2017

मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017


विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों एवं इसके वैकल्पिक प्रोटोकॉल को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा दिसंबर, 2006 में अपनाया गया था, जो 3 मई, 2008 को लागू हुआ। भारत ने इस घोषणा को 1 अक्टूबर, 2007 को अनुमोदित किया था। इसके एक हस्ताक्षरकर्ता के रूप में मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा हेतु भारत द्वारा ‘मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम (The Mental Health Care Act), 2017′ लाया गया है।
  • 7 अप्रैल, 2017 को ‘मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017’ को राष्ट्रपति की अनुमति प्राप्त हुई और यह अधिनियम इसी दिन लागू हो गया।
  • यह अधिनियम मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 को प्रतिस्थापित करता है।
  • इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार हैं-
  • सभी व्यक्तियों को सरकार द्वारा वित्तपोषित या संचालित संस्थान की मानसिक उपचार एवं देखभाल जैसी सेवाओं का लाभ उठाने का अधिकार होगा।
  • मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को उपचार के तरीकों के संबंध में अग्रिम-निर्देश (Advance Directive) देने का एवं विक्षिप्तता की अवस्था में अपने लिए निर्णय लेने वाले प्रतिनिधि को नामित करने का अधिकार होगा।
  • अग्रिम-निर्देशित तरीके से उपचार करने पर उत्पन्न किसी भी दुष्परिणाम हेतु सेवा प्रदाता या चिकित्सक को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता।
  • संबंधित सरकारों को राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण (Central Mental Health Authority) एवं राज्य स्तर पर राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण की स्थापना का अधिकार दिया गया है।
  • इन प्राधिकरणों के निम्न कार्य होंगे-
    (1) सभी मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों का पर्यवेक्षण एवं पंजीकरण।
    (2) इन संस्थानों हेतु गुणवत्तायुक्त सेवाओं के मानकों का विकास।
    (3) मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सकों का रजिस्टर तैयार करना।
    (4) इस अधिनियम के प्रावधानों हेतु प्रवर्तन अधिकारियों एवं मानसिक चिकित्सकों को प्रशिक्षित करना।
    (5) सेवा प्रदान करने में हुई कमी/अपर्याप्तता के खिलाफ शिकायतें स्वीकार करना।
    (6) मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों पर सरकार को सलाह देना।
  • मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा हेतु ‘मानसिक स्वास्थ्य पुनरीक्षण’ आयोग (Mental Health Review Co-mmission) का गठन।
  • यह आयोग अर्द्धन्यायिक संस्था होगी, जो अग्रिम-निर्देशों को बनाने की प्रक्रिया एवं इसके परिचालन की नियमित अंतराल पर जांच करेगी।
  • यह आयोग, राज्य सरकारों के साथ मिलकर जिला स्तर पर ‘मानसिक स्वास्थ्य पुनरीक्षण बोर्ड’ (Mental Health Review Board) का गठन करेगी।
  • उल्लेखनीय है कि इस कानून की कार्यात्मक इकाई ‘जिला’ है।
  • इस बोर्ड को निम्न शक्तियां प्राप्त होंगी-
    (1) अग्रिम-निर्देशों का पंजीकृत, समीक्षा, बदलना या रद्द करना।
    (2) नामित प्रतिनिधि (Nominated Repre-sentative) की नियुक्ति करना।
    (3) देखभाल एवं उचार की कमी के संबंध में हुई शिकायतों पर निर्णय देना।
  • मानसिक बीमारी से ग्रसित किसी अवयस्क (Minor) के उपचार हेतु बिजली के झटकों का उपयोग (Electro-Convulsive Therapy) प्रतिबंधित किया गया है।
  • वयस्कों के उपचार हेतु इस विधि का प्रयोग, स्नायु शिथिल दवाओं (Muscles Relaxants) एवं बेहोशी (Anaesthesia) के बिना नहीं किया जाएगा।
  • मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति को किसी भी दशा में बेड़ी/जंजीर नहीं पहनाई जा सकती और उन्हें एकांतिक भी नहीं किया जा सकता।
  • आत्महत्या का प्रयास करने वाले व्यक्तियों को मानसिक बीमार घोषित किया गया है और इस हेतु उन्हें भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत सजा नहीं दी जा सकती।
  • चिकित्सा बीमा पॉलिसी (Medical Insurance Policies) में मानसिक बीमारी (Mental-illness) को जोड़ना, बीमा कंपनियों के लिए अनिवार्य बनाया गया है।
  • मानसिक-मंदता (Mental-Retardation) को मानसिक बीमारी की श्रेणी से बाहर रखा गया है।