Wednesday, 12 April 2017

नंगी आंखों से जिस ग्रह को देखा जा सकता है वे हैं - बुध, शुक्र, मंगल, बृहस्पति और शनि।


                              पृथ्वी अपने अक्ष पर 24 घंटे में एक चक्कर पूरा कर लेती है। इस दौरान सभी ग्रह 12 घंटे के लिए उदय व 12 घंटे के लिए अस्त होते हैं पर हम केवल उन्हीं ग्रहों को देख पाते हैं जो रात्रि के समय उदय होते हैं अथवा सूर्यास्त के बाद भी आकाश में रहते हैं। हम किसी भी रात्रि के समय दृश्य आकाश का 180° भाग देखते हैं अतः जो ग्रह इस भाग में होगें वे हमें दिखाई देगें। किसी ग्रह का सुबह या शाम के समय दिखाई देने के लिए उसका सूर्य से 28° का अंतर होना चाहिए। इससे कम अंतर पर किसी ग्रह को देखना लगभग असंभव है।
                              सबसे पहले बात करते हैं अभ्यान्तर ग्रहों बुध व शुक्र की। सूर्य के सबसे समीप के ग्रह बुध को आकाश में देखना थोड़ा कठिन है और इसका कारण छोटा आकार व सूर्य के अत्याधिक निकट होना। बुध की कक्षा पृथ्वी की कक्षा के अंदर की ओर है अतः बुध को केवल सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद ही कुछ देर के लिए पूर्व या पश्चिम दिशा में देखा जा सकता है। बुध ग्रह को देखना तभी संभव है जब वह सूर्य से अपने दूरस्थ बिंदु पर लगभग 28° की अधिकतम दूरी पर हो। इससे कम कलांश होने पर सूर्य की आभा मे से बुध को देखना असंभव होगा। बुध ग्रह को देखने का सबसे अच्छा स्थान है समुद्र तट। अगर आप किसी समुद्र तट के निकट रहते हैं जहां से सूर्योदय या सूर्यास्त का नजारा दिखाई देता हो तो वहां से बुध को देखना संभव है क्योंकि यह क्षितिज के पास ही दिखाई देता है।शहरों में रहने वाले लोगों के लिए तो बुध का दिखना दूरदर्शी के माध्यम से भी संभव नहीं है। 
                            शुक्र ग्रह को देखना और पहचानना सबसे आसान है। चूंकि शुक्र ग्रह की कक्षा भी पृथ्वी की कक्षा के अंदर ही पड़ती है अतः इसे भी आप प्रातः काल और सांय काल में ही देख सकते हैं। परंतु यह बुध की तरह धूमिल नहीं बल्कि किसी बहुत तेज चमकदार तारे की तरह नजर आयेगा। आकाश में चमकने वाले पिंडों में सूर्य व चंद्रमा के बाद शुक्र की चमक तीसरे स्थान पर है। आप में से कुछ लोगों ने शायद ध्यान भी दिया हो कि वर्ष के कुछ हिस्सों में सुबह के समय पूर्व में व शाम के समय पश्चिम में एक बहुत चमकदार तारा दिखाई देता है। पर वास्तव वह कोई तारा नहीं बल्कि हमारा पड़ोसी ग्रह शुक्र है। शुक्र के इतना तेज चमकने के कई कारण हैं।
                           पहला तो यही कि यह सूर्य के नजदीक स्थित है तो इसपर अधिक प्रकाश पड़ता है, दूसरा शुक्र का सघन वायुमंडल इसपर पड़ने वाले अधिकतर प्रकाश को परावर्तित कर देता है। इसके अलावा यह पृथ्वी के सबसे नजदीकी ग्रह भी है, इसलिए यह आकाश में इतना चमकदार दिखाई देता है। शुक्र सूर्य से अधिकतम 48° की दूरी पर जा सकता है और इस अधिकतम बिन्दु पर यह अपने सबसे ज्यादा चमकदार रूप में देखा जा सकता है। अगर आप दूरदर्शी का प्रयोग करते हैं तो आप चंद्रमा की तरह शुक्र की कलाएं भी देख सकते हैं। अभ्यान्तर ग्रहों के बाद नजर डालते हैं बाह्य ग्रहों मंगल, बृहस्पति और शनि की स्थिति पर।
                        मंगल को किसी एक नक्षत्र में लगभग डेढ़ महीने के लिए देखा जा सकता है। मंगल बाह्य ग्रह है इसकी कक्षा पृथ्वी की कक्षा के बाहर पड़ती है अतः यह रात्रि में ऊर्ध्व आकाश में आसानी से देखा जा सकता है। मंगल वर्ष में एक बार ४०-५० दिन के लिए सूर्य के नक्षत्र में प्रवेश करता है केवल इस दौरान ही मंगल को देखना संभव नहीं हो पाता है। इसके अतिरिक्त आप पूरे वर्ष इसे देख सकते हैं। मंगल ग्रह आकार में छोटा है, सौर मंडल मे मंगल से छोटा केवल बुध ग्रह ही है और मंगल अपने ऊपर पड़ने वाले प्रकाश का काफी कम भाग परावर्तित करता है अतः इसकी चमक उस दौरान काफी कम हो जाती है जब यह पृथ्वी से दूर अर्थात कक्षा में सूर्य के दूसरी ओर होता है। मंगल को इसके लाल-नारंगी रंग की चमक से आसानी से पहचाना जा सकता है।
                   बृहस्पति ग्रह की दृश्यता शुक्र के बाद दूसरे स्थान पर है। यह आकाश में चमकने वाला चौथा सबसे चमकदार पिंड है। बृहस्पति सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है और पृथ्वी से 4-6खगोलीय इकाई की दूरी पर है। बृहस्पति का किसी एक नक्षत्र में ठहराव लगभग 12 महीने का होता है। इसे भी वर्ष भर आसानी से देखा जा सकता है। बृहस्पति को देखना केवल तब असंभव होता है जब पृथ्वी के सापेक्ष सूर्य और बृहस्पति एक ही नक्षत्र में होते हैं परंतु सूर्य किसी नक्षत्र से लगभग एक महीने में ही निकल जाता है अतः हम बृहस्पति को 6 महीने सूर्यास्त के बाद पूर्व से पश्चिम की ओर व ६ महीने सूर्योदय से पहले पूर्व से पश्चिम की ओर देख सकते हैं। इस काल में कुछ समय बृहस्पति सूर्य के साथ उदय होकर उसी के साथ अस्त हो जाता है तब इसे देखना संभव नहीं हो पाता है।
                    शनि ग्रह सबसे दूर का ग्रह है जिसे आप नंगी आंखों से देख सकते हैं और एेसा इसके बड़े आकार के कारण ही संभव है। शनि ग्रह की चाल पृथ्वी के सापेक्ष बहुत कम है और यह आकाश में रोज बहुत थोड़ा सा खिसकता हुआ दिखाई देता है। शनि किसी नक्षत्र में ढ़ाई वर्ष का समय गुजारता है और जब सूर्य इसके नक्षत्र में प्रवेश करता है तभी शनि को देखना संभव नहीं हो पाता है इसके अलावा यह आकाश में हल्के पीले रंग के तारे के रूप में देखा जा सकता है।