(उड़े देश का आम नागरिक-UDAN)
हाल ही में सरकार ने द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी के शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ने के लिए ‘उड़ान‘ योजना की पहल की है।
योजना क्या है ?
इस योजना के माध्यम से शिमला, बटिंढा और जैसलमेर जैसे नगरों के निष्क्रिय पड़े 31 विमानतलों एवं कुल्लु जैसे शहरों के कम उपयोग में आने वाले 12 विमानतलों को मिलाकर कुल 70 विमानतलों को उपयोग में लाया जा सकेगा।इस योजना के तहत 128 मार्गों पर अपनी हवाई सेवाएं देने के लिए पाँच विमान कंपनियों ने पहल की है।नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अनुसार इस प्रकार की सेवाएं अप्रैल माह के अंत तक प्रारंभ हो जाएंगी।
योजना के लाभ
हमारे देश में 80% विमान यात्रा मेट्रो शहरों के बीच ही होती है। इसमें भी सबसे ज्यादा यात्री दिल्ली-मुंबई के बीच यात्रा करते हैं। ऐसे में इस प्रकार का उड्डयन तंत्र विकसित करना अपने आप में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना से क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा मिलेगा। व्यापार एवं व्यवसाय में बढ़ोतरी होगी। चिकित्या सेवाएं बेहतर होंगी एवं पर्यटन को बढावा मिलेगा।
चुनौतियाँ
- छोटे शहरों से उड़ानों का संचालन करना उड़ान कंपनियों के लिए बहुत लाभ का काम नहीं है। इससे निपटने के लिए सरकार ने किराए-भाड़े की अधिकतम सीमा तय करके सब्सिड़ी की भरपाई के लिए सरकार मुख्य मार्गों की उड़ान पर प्रति व्यक्ति प्रभार लगाएगी, जो कि लगभग 50रु. प्रति व्यक्ति होगा। ‘उड़ान‘ मार्ग पर लगी उड़ान कंपनी को यह सब्सिडी तीन वर्ष के लिए ही दी जाएगी। साथ ही उन्हें हवाई अड्डे के शुल्क से भी मुक्त रखा जाएगा, जो कि 25 से 30% तक होता है।
- ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है कि एयर ट्रैफिक कंट्रोल वालों के लिए इन छोटे शहरों की उड़ानों का अपेक्षाकृत कम महत्व होगा। इसलिए क्या वे इस पर कुशलता से इसका संचालन कर सकेंगे ?
- द्वितीय व तृतीय श्रेणी के नगरों में रनवे बहुत बड़े नहीं है। विमान कंपनियों को सामान्य विमानों के स्थान पर छोटे विमान खरीदने होंगे, जो कम क्षेत्र में उड़ान भर सकें और उतर सकें।
- छोटे विमानों के लिए अलग विशेषज्ञता वाले चालक दल की आवश्यकता होगी। प्रतिवर्ष भारत में 200 से 300 पायलट तैयार होते हैं। इस प्रकार छोटे विमानों में दक्षता रखने वाले पायलट तैयार करने में समय लगेगा।
सरकार को चाहिए कि योजना को सफल बनाने के लिए सामने आने वाली चुनौतियों के लिए सोची समझी नीति तैयार करे।