नैनीताल हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले में गंगा और यमुना नदी को वैधानिक व्यक्ति का दर्जा दिया। यानी इन दोनों नदियों को क्षति पहुंचाना किसी इंसान को नुकसान पहुंचाने जैसा माना जाएगा। इससे पहले सिर्फ न्यूजीलैंड में वानगानोई नदी को इंसान का दर्जा दिया गया है। 15 मार्च को न्यूजीलैंड की संसद ने वानगानोई नदी को इंसान के बराबर माना। इस नदी को इंसान के समान अधिकार प्रदान कर दिए गए हैं।
क्या है वानगानोई नदी की कहानी
जैसे हमारे देश में गंगा-यमुना नदी की पूजा की जाती है वैसे ही वानगानोई न्यूजीलैंड की माओरी जाति द्वारा पूजी जाती है। वानगानोई नदी से पहले विश्व में किसी भी नदी को अब तक इंसान नहीं माना गया व इंसानों वाले अधिकार नहीं दिए गए थे। न्यूजीलैंड के निवासियों का कहना है कि नदी की एक अपनी विशेष पहचान है।
वानगानोई नदी को बहुत पहले से ही नागरिक जैसे नामों से पुकारा जाता है। यह देश की तीसरी सबसे बड़ी नदी है। माओरी जाति के लोगों द्वारा किया गया अथक 160 वर्षों का प्रयास सफल रहा। वे इसे मान्यता दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। माओरी लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले एमपी एड्रियन रूरावे ने कहा कि समग्र रूप से यह नदी उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो इस पर निर्भर हैं और इस नदी पर रहते हैं।
कानून से क्या होगा फायदा
न्यूजीलैंड के इस कानून का मतलब है कि दो वकील कानूनी मामलों में इस नदी के हितो की रक्षा करेंगें। इन दो वकीलों में से एक वकील का निर्धारण सरकार द्वारा किया जाएगा और दूसरे वकील का निर्धारण माओरी जाति वालों द्वारा किया जाएगा।