Sunday 30 April 2017

सोशल मीडिया का तेजी से बढ़ रहा है कारोबारी जगत पर प्रभाव


                     सोशल मीडिया ने राजनीतिक संवाद की दशा ही बदल दी है। नरेंद्र मोदी और डॉनल्ड ट्रंप इसकी बानगी हैं। परंतु कारोबारी जगत पर इसका प्रभाव उतना मुखर नहीं रहा है। अमेरिका के तीन बड़े कॉर्पोरेशन से जुड़ी हालिया घटनाएं बताती हैं कि वैश्विक स्तर पर उपभोक्ताओं द्वारा नए मीडिया को अपनाए जाने के बीच कंपनियों के सामने नीतिगत और जन संपर्क जैसी अहम चुनौतियां पैदा हो गई हैं।
                       यूनाइटेड एयरलाइंस का उदाहरण हमें बताता है कि जनसंपर्क के मुद्दों से निपटते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए? शिकागो एयरपोर्ट पर एक उम्रदराज और चोटिल हो गए एशियाई व्यक्ति को सुरक्षाकर्मियों द्वारा घसीटते हुए विमान से उतारे जाने का वीडियो वायरल होने के बाद कंपनी का बाजार पूंजीकरण एक सप्ताह में 57 करोड डॉलर तक कम हुआ। 69 वर्षीय पीडि़त का नाम डॉ. दाओ था। वह वियतनामी मूल के चिकित्सक थे। वह चार ऐसे यात्रियों में से एक थे जिन्हें विमान चालक दल के सदस्यों के लिए जगह बनाने और विमान से उतरने को कहा गया था।
                       पहले डॉ. दाओ 1,000 डॉलर लेकर विमान से उतरने को मान गए थे लेकिन जब उन्हें बताया गया कि अगला विमान अगले दिन ही जाएगा तो उन्होंने उतरने से इनकार कर दिया। उन्हें अगली सुबह मरीज देखने थे। उन्होंने यह कारण बताते हुए उतरने से इनकार कर दिया। इस पर उन्हें जबरन विमान से उतार दिया गया। जबरदस्ती करने से उनके नाक और दांत टूट गए, हालांकि उन्हें विमान में बैठने दिया गया।
                      सोशल मीडिया पर लोगों ने खूब नाराजगी दिखाई। खासतौर पर चीन और वियतनाम के लोगों ने। पूरी बहस विमान कंपनियों द्वारा जरूरत से ज्यादा यात्रियों को बिठाने पर केंद्रित थी। हालांकि इस मामले में ऐसा नहीं था। यूनाइटेड एयरलाइंस ने सीट के बराबर यात्री बिठाए थे लेकिन अतिरिक्त क्रू सदस्यों के कारण सीट खाली करानी पड़ी। नस्ली भेदभाव को लेकर भी बात होने लगी। कहा गया कि श्वेत यात्री के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाता। आपको लग रहा होगा कि इसके बाद यूनाइटेड एयरलाइंस की जनसंपर्क एजेंसी हरकत में आ गई होगी। यह सच है लेकिन वैसे नहीं जैसे कि अधिकांश लोगों ने सोचा होगा। कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) ऑस्कर मुनोज जिन्हें कुछ ही दिन पहले पीआरवीक ने मलाला यूसुफजई के साथ संयुक्त रूप से कम्युनिकेटर ऑफ द इयर का खिताब दिया था, ने एक संक्षिप्त पत्र भेजा जिसमें यात्रियों को विमान में दोबारा समायोजित करने के लिए माफी मांगी गई लेकिन एक यात्री को उतारने के लिए सुरक्षा अधिकारियों के इस्तेमाल को लेकर कुछ नहीं कहा। शाम को उन्होंने कर्मचारियों को एक ई-मेल भेजकर कहा कि वह उनके साथ हैं। हालांकि उनके पत्र पर यूनाइटेड के कर्मचारियों ने कैसी प्रतिक्रिया दी यह सामने नहीं आया है लेकिन विमानन कंपनी के शेयर औंधे मुंह जा गिरे। इसमें दो राय नहीं कि शेयर कीमतों में यह गिरावट और मुकदमा चलाए जाने के डर ने कंपनी के सीईओ को अपना कदम वापस लेने पर मजबूर किया। उन्होंने तुरंत क्षमा मांगते हुए कहा कि वह हालात को समझ नहीं सके। अब उनको विमान कंपनी की छवि दोबारा सुधारने के लिए पीआरवीक की सराहना मिली है। लंबी अवधि में सस्ते किराये के चलते परिचालन पर असर हो सकता है लेकिन कंपनी की छवि को जो नुकसान पहुंचा है उसकी भरपाई में बहुत वक्त लगेगा। शायद सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि मैक्सिकन मूल के मुनोज इस घटना में अंतर्निहित पूर्वग्रह को भांप नहीं पाए। क्या कारोबारी जीवन इन अधिकारियों को इतना असंवेदनशील बना देता है? पेप्सी, जिसकी सीईओ भारतीय मूल की एक महिला हैं, उसने भी नस्ली संवेदनशीलता को लेकर ऐसी ही उपेक्षा एक विज्ञापन में बरती। विज्ञापन में रियलिटी टीवी स्टार केंडल जेनर जो एक सड़क पर मॉडलिंग कर रही हैं, एक विरोध प्रदर्शन में शामिल हो जाती हैं। प्रदर्शनकारियों के साथ वह पुलिस की घेरेबंदी तक पहुंचती हैं और एक अधिकारी को पेप्सी का केन पीने की पेशकश करती हैं। वह उसे पी लेता है और सब प्रसन्न हो जाते हैं। हाल ही में अमेरिका में पुलिस विरोधी प्रदर्शन खूब हुए थे। ऐसे में सोशल मीडिया उबल पड़ा। जेनर पेप्सी की पेशकश वाले दृश्य में एक अफ्रीकी अमेरिकी लड़की की नकल कर रही थीं जिसने पुलिसकर्मियों के समक्ष अपना हाथ बढ़ाया था ताकि उसे पकड़ा जा सके।
                    यूनाइटेड एयरलाइंस के उलट पेप्सी को गलती जल्दी समझ में आ गई। मानव अधिकार के नेता रहे मार्टिन लूथर किंग की बेटी कॉरेटा स्कॉट किंग ने उक्त विज्ञापन की आलोचना की और तमाम टॉक शो में पेप्सी को आड़े हाथों लिया जाने लगा। इतने में ही इस बहुराष्ट्रीय कंपनी ने अपना विज्ञापन वापस लेकर माफी मांग ली। जेनर इस मसले पर खामोश हैं लेकिन आश्चर्य है कि यह विज्ञापन बनाने की इजाजत किसने दी?
                    फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग की हालिया समस्या इस श्रेणी की तो नहीं थी लेकिन क्लीवलैंड में हुई हत्या के बाद हत्यारे द्वारा अपलोड किए गए वीडियो को लेकर जो आलोचना हुई वह अनुकरणीय थी। जुकरबर्ग को यह श्रेय दिया जाना चाहिए कि वह सामने आए और उन्होंने इस मसले पर अपने संस्थान की ढीली प्रतिक्रिया की जवाबदेही ली। वीडियो को फेसबुक से हटाने में दो घंटे लग गए। जुकरबर्ग ने एक वीडियो जारी कर माफी मांगी और कहा कि भविष्य में और तेजी से कदम उठाए जाएंगे। यूनाइटेड एयरलाइंस, पेप्सी और फेसबुक सभी जबरदस्त आलोचना के शिकार हुए। सबक यही है कि सोशल मीडिया अब इतना प्रभावी हो चुका है कि वह शेयर कीमतों तक में गिरावट की वजह बन सकता है।