वैदिक एवं उत्तर वैदिक काल में महिलाओं को गरिमामय स्थान प्राप्त था। उसे देवी, सहधर्मिणी अर्द्धांगिनी, सहचरी माना जाता था। स्मृतिकाल में भी ''यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता'' कहकर उसे सम्मानित स्थान प्रदान किया गया है। पौराणिक काल में शक्ति का स्वरूप मानकर उसकी आराधना की जाती रही है। किन्तु 11 वीं शताब्दी से 19 वीं शताब्दी के बीच भारत में महिलाओं की स्थिति दयनीय होती गई। एक तरह से यह महिलाओं के सम्मान, विकास, और सशक्तिकरण का अंधकार युग था। मुगल शासन, सामन्ती व्यवस्था, केन्द्रीय सत्ता का विनष्ट होना, विदेशी आक्रमण और शासकों की विलासितापूर्ण प्रवृत्ति ने महिलाओं को उपभोग की वस्तु बना दिया था और उसके कारण बाल विवाह, पर्दा प्रथा, अशिक्षा आदि विभिन्न सामाजिक कुरीतियों का समाज में प्रवेश हुआ, जिसने महिलाओं की स्थिति को हीन बना दिया तथा उनके निजी व सामाजिक जीवन को कलुषित कर दिया।
मध्यकाल में विदेशियों के आगमन से स्त्रियों की स्थिति में जबर्दस्त गिरावट आयी। अशिक्षा और रूढ़िवाद जकड़ती गई,घर की चाहरी दीवारी में कैद होती गई और नारी एक अबला,रमणी और भोग्या बनकर रह गई। आर्य समाज आदि समाज-सेवी संस्थाओं ने नारी शिक्षा आदि के लिए प्रयास आरम्भ किये। उन्नीसवीं सदीं के पूर्वार्द्ध में भारत के कुछ समाजसेवियों जैसे राजाराम मोहन राय, दयानन्द सरस्वती, ईश्वरचन्द विद्यासागर तथा केशवचन्द्र सेन ने अत्याचारी सामाजिक व्यवस्था के विरूद्ध आवाज उठायी। इन्होंने तत्कालीन अंग्रेजी शासकों के समक्ष स्त्री पुरूष समानता, स्त्री शिक्षा, सती प्रथा पर रोक तथा बहु विवाह पर रोक की आवाज उठायी। इसी का परिणाम था सती प्रथा निषेध अधिनियम ,1829,1856 में हिन्दू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम,1891 में एज आफ कन्सटेन्ट बिल ,1891 , बहु विवाह रोकने के लिये वेटिव मैरिज एक्ट पास कराया। इन सभी कानूनों का समाज पर दूरगामी परिणाम हुआ। वर्षों के नारी स्थिति में आयी गिरावट में रोक लगी। आने वाले समय में स्त्री जागरूकता में वृद्धि हुई ओैर नये नारी संगठनों का सूत्रपात हुआ जिनकी मुख्य मांग स्त्री शिक्षा, दहेज, बाल विवाह जैसी कुरीतियों पर रोक, महिला अधिकार, महिला शिक्षा का माँग की गई।
उन्नीसवीं सदी के मध्यकाल से लेकर इक्कीसवीं सदी तक आते-आते पुनः महिलाओं की स्थिति में सुधार हुआ और महिलाओं ने शैक्षिक, राजनीतिक सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक, प्रशासनिक, खेलकूद आदि विविध क्षेत्रों में उपलब्धियों के नए आयाम तय किये। आज महिलाएँ आत्मनिर्भर, स्वनिर्मित, आत्मविश्वासी हैं, जिसने पुरूष प्रधान चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में भी अपनी योग्यता प्रदर्शित की है। वह केवल शिक्षिका, नर्स, स्त्री रोग की डाक्टर न बनकर इंजीनियर, पायलट, वैज्ञानिक, तकनीशियन, सेना, पत्रकारिता जैसे नए क्षेत्रों को अपना रही है। राजनीति के क्षेत्रों में महिलाओं ने नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद पर श्रीमती प्रतिभा पाटिल, लोकसभा स्पीकर के पद पर मीरा कुमार, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती, वसुन्धरा राजे, सुषमा स्वराज, जयललिता, ममता बनर्जी, शीला दीक्षित आदि महिलाएँ राजनीति के क्षेत्र में शीर्ष पर हैं। सामाजिक क्षेत्र में भी मेधा पाटकर, श्रीमती किरण मजूमदार, इलाभट्ट, सुधा मूर्ति आदि महिलाएँ ख्यातिलब्ध हैं। खेल जगत में पी.टी. ऊषा, अंजू बाबी जार्ज, सुनीता जैन, सानिया मिर्जा, अंजू चोपड़ा आदि ने नए कीर्तिमान स्थापित किये हैं। आई.पी.एस. किरण बेदी, अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स आदि ने उच्च शिक्षा प्राप्त करके विविध क्षेत्रों में अपने बुद्धि कौशल का परिचय दिया है।
संदर्भ ग्रंथ सूची-
1.राजकुमार डा0 नारी के बदले आयाम, अर्जुन पब्लिशिंग हाउस 2005
2.भारतीय संविधान,अनु0 14,15,16,19,21,23,39
3. गुप्ता कमलेश कुमार, महिला सशक्तिकरण,बुक एनक्लेव, जयपुर
4. सिंह करण बहादुर, महिला अधिकार व सशक्तिकरण, कुरूक्षेत्र, मार्च 2006
5.सुरेश लाल श्रीवास्तव, राष्ट्रीय महिला आयोग, कुरूक्षेत्र, मार्च 2007
6. गौतम हरेन्द्र राज, महिला अधिकार संरक्षण, कुरूक्षेत्र मार्च 2006
7 व्यास, जय प्रका , नारी शोषण, ज्ञानदा प्रकाशन , 2003
8.शैलजा नागेन्द्र, वोमेन्स राइट्स, ए डी वी पब्लिशर्स जयपुर , 2006
9 आहुजा, राम (1999) भारतीय सामाजिक व्यवस्था, रावत प्रकाशन जयपुर, नई दिल्ली।
10.अल्टेकर, ए0एस0 (1956) द पोजीशन ऑफ वोमेन इन हिन्दु सिविलाइजेशन, मोतीलाल बनारसी लाल, वाराणसी
11. हसनैन, नदीम (2004) समकालीन भारतीय समाज, भारत बुक सेन्टर, लखनऊ।
12. जोशी, पुष्पा (1988) गांधी आन वोमन, सेन्टर फार वोमन'स डेवलपमेन्ट स्टडीज, दिल्ली
13. मिश्र, जयशंकर (2006) प्राचीन भारत का सामाजिक इतिहास, बिहार हिन्दी ग्रंथ अकादमी, पटना
14. श्रीनिवास, एम0एन0 (1978) द चेन्जिग पोजीशन ऑफ इण्डिया वूमन, आक्सफोर्ड, यूनिवर्सिटी प्रेस, बाम्बे
15. राजनारायण डॉ0,स्त्री विमर्श और सामाजिक आन्दोलना
16. अखण्ड ज्योति
17. https://www.facebook.com/ekawaz18/