- यह बिगबैंग अर्थात महाविस्फोट के विपरीत है, जिससे ब्रह्माण्ड का विस्तार आरंभ हुआ था।
- इसके अनुसार ब्रह्मांड का औसत घनत्व उसके विस्तार को रोक देगा और ब्रह्मांड का संकुचन प्रारंभ होगा।
- यह संकुचन ब्रह्मांड के सारे पदार्थ को वापिस एक साथ के आयेगा, सारी संरचनायें नष्ट हो जायेंगी।
- अंत मे ब्रह्मांड फिर से अनंत घनत्व वाले एक बिंदु "सिंगुलरैटी" बन जायेगा और कुछ नहीं बचेगा।
2. महा चक्र (The Big Bounce)
- महासंकुचन के जैसे ही गुरुत्वाकर्षण ब्रह्मांड के विस्तार को रोक देगा और सारे पदार्थ को एक बिंदु के रूप मे खिंचना प्रारंभ करेगा।
- लेकिन सिंगुलरैटी उष्मागतिकि के द्वितिय नियम के विरूद्ध है जो ब्रह्मांड को किसी सिंगुलरैटी मे बंधने से रोकती है।
- संक्षेप मे महा-संकुचन रोक दिया जायेगा और एक नया महाविस्फोट(Big Bang) होगा।
- इस तरह से ब्रह्मांड का पुनचक्रण होगा, और यह जन्म मृत्यु अनंत तक चलते रहेगा।
- इस अवधारणा के अनुसार ब्रह्मांड का विस्तार अनंत तक जारी रहेगा, जिससे विभिन्न पिंड एक दूसरे दूर और दूर होते जायेंगे। विस्तार के साथ उष्मा का वितरण बड़े हिस्से मे होगा।
- इससे ब्रह्मांड शीतल और शीतल होते जायेगा। अंतत: सारे तारे मंद हो जायेगे, और नये तारो के जन्म के लिये ऊर्जा नहीं बचेगी।
- सारा ब्रह्मांड शीतल होकर बुझ जायेगा। पदार्थ बचा रहेगा लेकिन कणो के रूप मे तथा वह घनघोर अंधेरे मे कोई गति नहीं करेगा।
- हिग्स बोसान की खोज के आधार पर माना जाता है कि यह ब्रह्मांड मूल रूप से एक अस्थायी अवस्था मे है जो एक मितस्थायी निर्वात घटना(vaccum metastability event) को जन्म दे सकता है।
- जब यह प्रलंयंकारी घटना घटेगी, समांतर ब्रह्मांड के जन्म के लिये बुलबुला बनेगा।
- यह बुलबुला हर दिशा मे प्रकाशगति से बढ़ेगा और अपने मार्ग मे हर चीज को नष्ट करते जायेगा।
- ब्रह्मांड का अस्तित्व रहेगा लेकिन एक ऐसी अवस्था मे जिसे समझने के लिये हमारा वर्तमान भौतिकी का ज्ञान पर्याप्त नहीं है।