आज विश्व विकासवाद से ऊपर उठकर समावेशी विकास के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु उन्मुख है। भारत भी इस दिशा में प्रयासरत है। इसी के दृष्टिगत 12वीं पंचवर्षीय योजना में समावेशी विकास पर विशेष जोर भी दिया गया है। तमाम प्रयासों के बावजूद भारत आज भी समावेशी विकास की दृष्टि से काफी पीछे खड़ा नजर आ रहा है। देश में भिखारियों की एक बड़ी संख्या का होना भी इस तथ्य को प्रमाणित करता है। यद्यपि वर्ष 2001 की जनगणना में भिखारियों की संख्या 6.3 लाख थी, जो वर्ष 2011 में घटकर 3.7 लाख हो गई। यह आंकड़े भिखारियों की संख्या में कमी तो बता रहे हैं, लेकिन यह कमी संतोषजनक नहीं है। इसी पृष्ठभूमि में गोवा के मुख्यमंत्री ने अपने राज्य को भिखारी मुक्त बनाने का संकल्प लिया है।
- 24 मार्च, 2017 को गोवा के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर ने विधान सभा में बजट पेश करने के दौरान गोवा को पहला भिखारी मुक्त राज्य बनाने की बात कही।
- वर्ष 2017-18 के बजट भाषण में मुख्यमंत्री ने भिखारियों के पुनर्वसन हेतु केंद्र खोले जाने की योजना का प्रावधान किया।
- यद्यपि गोवा एक उच्च प्रति व्यक्ति वाला राज्य है, फिर भी इस राज्य में भिखारियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। यह वृद्धि गोवा के लिए दुर्भाग्य की बात है।
- गोवा के मुख्यमंत्री के द्वारा भिखारियों के सुधार में पहल एक सराहनीय कार्य है, जो गोवा को भिखारी मुक्त राज्य बनाने में सफल सिद्ध होगा। अगर इसी तरह का प्रयास भारत के अन्य राज्य भी करते रहें, तो आने वाले समय में पूरा भारत भिखारी मुक्त देश बन सकता है।
- निष्कर्षतः भिखारी मुक्त राज्य बनाने के लिए किसी भी सरकार को दो आयामों में कार्य करना पड़ेगा-
(i) जीवन-यापन की प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति।
(ii)स्थिति/अवस्था के अनुरूप रोजगार उपलब्ध कराना।