भारतीय बौद्धिक सम्पदा कानून, ऐसा कानून है, जो ट्रेड रिलेटेड आस्पैक्टस ऑफ इंटैलेक्ट्यूल प्रॉपर्टी राइट्स (TRIPS) के अंतरराष्ट्रीय समझौते के अंतर्गत आता है। इसे 1 जनवरी 1995 को लागू किया गया था। इस समझौते में शामिल सदस्य देशों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कानूनी सुरक्षा प्रदान की जाती है। भारत में भी यह प्रशासनिक और न्यायिक स्तर पर काम करता है।
यह समझौता बौद्धिक संपदा के जिन क्षेत्रों को समाहित करता है, वे हैं:-
पेटेंट – तकनीक से जुड़े सभी क्षेत्रों में अगर कोई खोज या आविष्कार नया है और औद्योगिक उपयोगिता रखता है, तो उसे पेटेंट कराया जा सकता है। ट्रिप्स समझौते के अंतर्गत ऐसी खोजी को पेटेंट कराने से छूट दी गई है, जिनका सार्वजनिक हित से संबंध है; जैसे मानवता, पशु-जगत, स्वास्थ्य, वनस्पति आदि। किसी सदस्य को अगर यदि इसके व्यावसायिक दुरूपयोग का खतरा लगता है, तो वह पेटेंट कराने में छूट ले सकता है।
ट्रेड मार्क – इसके अंतर्गत किसी वस्तु या सेवा क्षेत्र में कोई एक चिन्ह या चिन्हों के समूह को ट्रिप्स द्वारा मान्यता दी जाती है। इस समझौते के अंतर्गत किसी भी ट्रेड मार्क का सात साल के लिए पंजीकरण कर लिया जाता है। भारत ने व्यापार में हो रहे वैश्वीकरण को देखते हुए ट्रेड एण्ड मर्चेन्डाइस एक्ट, 1958 में सन् 1999 में बदलाव किया।
कॉपीराइट : भारत ने बर्न अधिवेशन को मद्देनजर रखकर भारतीय कॉपीराइट एक्ट, 1957 को संशोधित करके 1999 में नया भारतीय कॉपीराइट कानून बनाया। इस कानून में समय-समय पर संशोधन किए गए हैं, जिसमें उपग्रह ब्राडकास्टिंग, कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर और डिजिटल तकनीक शामिल हैं।
भौगोलिक पैमाना (Geographical indications) : यह समझौता किसी भौगोलिक क्षेत्र से जुड़ी किसी विशेष वस्तु को अन्य किसी क्षेत्र या सदस्य के पेटेंट कराए जाने का विरोध करता है। जैसे अगर तुलसी भारत का उतपाद है, तो भारत ही उसके पेटेंट का हकदार होगा। परंतु अगर उस उत्पाद का उसके उत्पन्न होने वाले भौगोलिक क्ष्ज्ञेत्र में दुरूपयोग किया जा रहा है, तो वह इस समझौते से बाहर माना जाएगा।
औद्योगिक योजना (Industrial Designs) : औद्योगिक नमूनों को भी बौद्धिक संपदा का हिस्सा माना गया है। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य औद्योगिक उत्पादन में नए नमूनों या योजनाओं को बढ़ावा देना और उनकी रक्षा करना है। वर्तमान में भारत का न्यू डिज़ाइन एक्ट, 2000 औद्योगिक योजनाओं और नमूनों को प्रोत्साहित कर रहा है। इससे विश्व स्तर पर भारत ने औद्योगिक नमूनों में अपना अच्छा स्थान बना लिया है।