Monday 3 April 2017

सड़क दुर्घटनाओं की सूचना हेतु नया प्रारूप


‘‘बड़े भाग मानुस तन पावा। सुर दुर्लभ सब ग्रन्थहीं गावा।’’
दुर्घटनाएं दुर्लभ मानव देह को अपूर्व क्षति पहुंचाती हैं। दुर्घटनाजनित शारीरिक, मानसिक एवं आर्थिक क्षति किसी व्यक्ति को ही नहीं अपितु उसके परिवार व समाज को भी अत्यधिक क्षति पहुंचाती है। आर्थिक क्षति को रोकने एवं अमूल्य मानव जीवन की सुरक्षा हेतु समय-समय पर समाज व प्रशासन ने युक्तिसंगत व तर्कसंगत उपाय किए हैं। इन्हीं उपायों व समाधानों की जुगलबंदी में एक और प्रयास ‘सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय’ (Ministry of Road Transport & Highways) ने हाल ही में किया है।
  • सड़क दुर्घटनाओं की सूचनाएं जिस प्रारूप (Format) में एकत्रित की जाती थी उसकी समीक्षा हेतु सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक समिति का गठन किया है।
  • इस समिति का गठन श्रीमती कीर्ति सक्सेना की अध्यक्षता में किया गया है। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी है।
  • 21 फरवरी, 2017 को मीडिया से वार्ता के दौरान इस समिति ने बताया कि पुलिस स्टेशन में दुर्घटना-स्थल से संबंधित जो प्राथमिकी (FIR) दर्ज की जाती है वह अधूरी व पूर्ण रूप से सही नहीं होती है।
  • ये रिकॉर्ड वस्तुनिष्ठ न होकर व्यक्तिनिष्ठ प्रकृति के होते हैं।
  • ये रिकॉर्ड पुलिस कर्मचारियों की तकनीकी समझ, उनकी व्यक्तिगत समझ व उनकी व्याख्या पर आधारित होते हैं।
  • इस कारण वे सड़क की इंजीनियरिंग स्तर की खराब वाहन की प्रकृति, इत्यादि के बारे में ध्यान नहीं देते हैं।
  • अतः इन समस्याओं से निपटने हेतु कमेटी ने एक समान दुर्घटना अभिलेखन प्रारूप (Uniform Accident Recording Format) की संस्तुति की है। इस प्रारूप को पांच अनुभागों में बांटा गया है।
अनुभाग (Section)सूचनाएं
Aदुर्घटना शिनाख्त विवरण जैसे वाहन का प्रकार, दुर्घटना का स्थान आदि।
Bसड़क की स्थिति जैसे गड्ढे, भूमिगत नाली, पुलिया, ढलान इत्यादि।
Cवाहन का विवरण, यथा मोटरीकृत (Motorised) या अमोटरीकृत (Non Motorised)
Dड्राइवरों द्वारा ट्रैफिक नियमों की अवहेलना
Eदुर्घटना में शामिल अन्य व्यक्तियों का विवरण
  • इस प्रारूप के अनुसार, विवरण भरने पर दुर्घटनाओं के कारण, उनके मुख्य कारकों की पहचान करने व सुधार हेतु आवश्यक कदम उठाने में सहायता मिलेगी।
  • इसके साथ ही समिति ने यह सुझाव भी दिया कि दुर्घटना स्थल की रिकॉर्डिंग, रोड की डिजाइन समझने हेतु ग्लोबल पोजीशनिंग प्रणाली (G.P.S.) विवरण भी दुर्घटना के कारणों का विश्लेषण करने में सहायक सिद्ध होंगे।
  • इसके अलावा समिति ने राज्य स्तर पर दुर्घटनाओं से संबंधित आंकड़ों एवं विवरण को एकत्रित करने हेतु भी एक प्रारूप का निर्माण किया है।
  • इसके आधार पर भविष्य में दुर्घटनाओं का स्वरूप (Pattern) जानने में सहायता मिलेगी।