Sunday, 2 April 2017

जीएसटी से जुड़े 4 विधेयकों को लोकसभा की मंजूरी


लोकसभा में लंबी बहस के बाद आजादी के बाद का ‘सबसे बड़ा आर्थिक सुधार’ कहे जाने वाला जीएसटी बिल आखिरकार सदन से 29 मार्च 2017 को पारित हो गया। जीएसटी से जुड़े चार बिलों सेंट्रल जीएसटी, इंटीग्रेटेड जीएसटी, यूनियन टेरिटरी जीएसटी और कॉम्पेंसेशन जीएसटी बिलों को लोकसभा ने संशोधनों के बाद पास किया।
31 मार्च को जीएसटी काउंसिल की बैठक होगी, इसमें जीएसटी के नियमों पर सहमति बनाई जाएगी। इसके बाद अप्रैल में किन टैक्स स्लैब में किस वस्तु को रखा जाएगा, उस पर फैसला लिया जाएगा। इनके लिए संसद की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। अब सरकार जीएसटी के इन बिलों को राज्यसभा में विचार-विमर्श के लिए पेश करेगी, क्योंकि सरकार ने जीएसटी बिल को मनी बिल के रूप में पेश किया, ऐसे में उसे राज्यसभा से पारित कराने की जरूरत नहीं है।
इन चार विधेयकों के पास होने के बाद अब 29 राज्यों के साथ दिल्ली और पुड्डूचेरी की विधानसभाओं को राज्य जीएसटी यानी एसजीएसटी बिल को पास कराना होगा। यह पूरी विधायी प्रक्रिया अगले एक से दो महीने में पूरी होने की उम्मीद है।
1 अप्रैल की डेडलाइन मिस करने के बाद सरकार 1 जुलाई से देशभर में समान टैक्स प्रणाली लागू करना चाहती है। जीएसटी का उद्देश्य पूरे देश में वस्तुओं और सेवाओं की दर को एक समान रखना है। वित्त मंत्री ने अरुण जेटली ने कहा कि अगर इस वक्त किसी वस्तु पर 10 प्रतिशत टैक्स लगता है तो हमारी कोशिश होगी कि उस पर जीएसटी की वह दर लगे, जो उसके करीब है। ऐसे महंगाई बढ़ने का कम खतरा रहेगा और वस्तुएं भी कुछ सस्ती हो सकती हैं।

विधेयकों का महत्व:

सीजीएसटी: जीएसटी लागू होने के बाद केंद्र सरकार किस तरह से कर वसूलेगी, उसकी व्याख्या इस विधेयक में की गई है। इस बिल में स्पष्ट किया गया है कि शराब को छोड़ सभी सामान और सेवाओं पर यह कर लगेगा. कर की दर अधिकतम 40 फीसद हो सकती है।

आईजीएसटी: इस विधेयक में दो राज्यों के बीच वस्तुओं व सेवाओं के व्यापार पर लगने वाले कर का ब्योरा दिया गया है। इसके साथ ही आयातित सामान पर भी कर लगाने का अधिकार मिलेगा। राजस्व की दृष्टि से यह विधेयक काफी महत्वपूर्ण है।

यूटीजीएसटी: इस विधयेक के जरिए पांच केद्र शासित प्रदेश अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दादरा नगर हवेली, दमन व दीव और चंडीगढ़ में जीएसटी लागू किया जा सकेगा।

मुआवजा बिल: जीएसटी लागू होने की स्थिति में कई राज्यों को आशंका थी कि उनके राजस्व में कमी आएगी। इसीलिए वह चाहते थे कि केंद्र सरकार ऐसे किसी संभावित नुकसान की भरपाई करे। केंद्र सरकार इसके लिए राजी हो गई और मुआवजे की व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए ही यह विधेयक लाया गया है।

जीएसटी की मुख्य बातें हैं: