Saturday, 8 April 2017

क्यों चमकती है बादल गरजने पर बिजली?


                           इस सवाल का जवाब ढूँढने की ताजा कोशिश और नए सवाल छोड़ गई है। मशहूर वैज्ञानिक बेन्जमिन फ्रेंकलिन उन पहले लोगों में से हैं जिन्होंने बिजली चमकने के पीछे के कारणों को समझने की कोशिश की थी। उनका ये निष्कर्ष बिल्कुल सही था कि बिजली कौंधना दरअसल एक प्राकृतिक विद्युत डिस्चार्ज है। लेकिन ये स्पष्ट नहीं है कि उनका 1752 में चर्चित ‘काइट एंड की’ प्रयोग कभी महज विचार से आगे बढ़ पाया था या नहीं। देखा जाए तो कई मायनों में मनुष्य फ्रैंकलिन के प्रयोग से आगे नहीं बढ़ पाया है। मिसाल के तौर पर इस बात को लेकर आज तक एक राय नहीं बन पायी है कि बादलों में विद्युत आवेश कैसे आता है?


ऐसा लगता है कि बर्फ के कण जब आपस में टकराते हैं तो उनमें विद्युत आवेश आ जाता है, और बर्फ के छोटे कण में आमतौर पर धनात्मक आवेश आने की संभावना रहती है जबकि बड़े कणों में ऋणात्मक आवेश।जैसे-जैसे छोटे कण कनवेक्शन धारा के कारण ऊपर उठने लगते हैं, वैसे-वैसे बड़े कण गुरुत्वाकर्षण के कारण नीचे बैठने लगते हैं। इस तरह विपरीत विद्युत आवेश वाले कण एक दूसरे से अलग होने लगते हैं और विद्युत क्षेत्र तैयार हो जाता है। बिजली कौंधने से ये विद्युत क्षेत्र डिसचार्ज हो जाता है। दरअसल ये आवेशित हो चुके बादल और पृथ्वी के बीच बहुत बड़ी चिंगारी की तरह होता है। ये आज भी रहस्य बना हुआ है कि ये चिंगारी पैदा कैसे होती है।

कॉस्मिक किरणें सुपरनोवा जैसी प्रक्रियाओं के दौरान प्रोटोन और इलेक्टॉन से बनती हैं। एक विचार ये है कि ये चिंगारी अंतरिक्ष से वातावरण में जाने वाली कॉस्मिक किरणों के कारण पैदा होती है। कॉस्मिक किरणें सुपरनोवा जैसी प्रक्रियाओं के दौरान आमतौर पर प्रोटोन और इलेक्ट्रॉन से बनती हैं। अगर एक कॉस्मिक किरण हवा के अणु के साथ टकराती है, तो इससे कई तरह के पार्टिकल निकल सकते हैं। ये बाद में अन्य अणुओं के साथ टकराते हैं, उनको आयोनाइज करते हैं और इलेक्ट्रॉन पैदा होते हैं।
                               1997 में रूस के वैज्ञानिक एलेक्ज़ेंडर गुरेविच और उनके सहयोगियों ने भी इशारा किया था कि कैसे कॉस्मिक किरणें चार्ज पैदा करती होंगी। उनके मुताबिक बादलों के विद्युत क्षेत्र में इलेक्ट्रोन आपस में टकराते हैं जिससे और टकराव पैदा होता है और बिजली कौंधती है। इस प्रक्रिया के तहत एक्स रे और गामा रे निकल सकती हैं।