Thursday 27 April 2017

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के दो अभिसमय को भारत की मंजूरी


कैबिनेट की मंजूरी
  • 31 मार्च, 2017 को कैबिनेट द्वारा ‘अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन’ (ILO) के दो अभिसमय न्यूनतम आयु अभिसमय 1973 (Minimum Age Convention, 1973) और बाल श्रम का निकृष्टतम रूप अभिसमय, 1999 (Worst Form of Child Labour Convention, 1999) को मंजूरी प्रदान की गई।
  • 10 अप्रैल, 2017 को श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने स्वीकृति हेतु इन अभिसमयों के अनुमोदन के प्रस्ताव को संसद के समक्ष रखा।
आईएलओ (ILO) के अभिसमय एवं भारत
  • भारत, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) का संस्थापक सदस्य है और इसने अभी तक आईएलओ के 45 अभिसमयों को अनुमोदित किया है। आईएलओ के कुल 8 मूलभूत अभिसमय हैं। इनमें से जिन 4 का अनुमोदन भारत द्वारा किया जा चुका है वे निम्न हैं-
  • (1) बलात् श्रम अभिसमय, 1930 (सं.-29)
  • (2) बलात् श्रम उन्मूलन अभिसमय, 1957 (सं.-105)
  • (3) समान पारिश्रमिक अभिसमय, 1951 (सं.-100)
  • (4) भेदभाव (रोजगार व्यवसाय) अभिसमय, 1958 (सं.-111)
  • जिन दो अभिसमयों का अनुमोदन प्रक्रिया में है वे हैं-
  • (1) न्यूनतम आयु अभिसमय, 1973 (सं.-138)
  • (2) बालश्रम का निष्कृष्टतम रूप अभिसमय, 1999 (सं.-182)
न्यूनतम आयु अभिसमय, 1973
  • जून, 1973 में आईएलओ द्वारा अपनाया गया वह अभिसमय रोजगार में प्रवेश के लिए आवश्यक न्यूनतम आयु से संबंधित है। यह अभिसमय 19 जून, 1976 से प्रभावी है। इसका अनुमोदन करने वाले प्रत्येक देश की निम्न बाध्यताएं होंगी-
  • (1) बाल श्रम के प्रभावी उन्मूलन हेतु राष्ट्रीय नीति का निर्माण एवं क्रियान्वयन।
  • (2) रोजगार में प्रवेश हेतु एक न्यूनतम आयु का निर्दिष्टीकरण, जो अनिवार्य स्कूली शिक्षा के पूरा होने की उम्र से कम नहीं होनी चाहिए।
  • (3) इस बात की प्रत्याभूति देना कि युवाओं के स्वास्थ्य एवं उनकी नैतिकता की सुरक्षा से समझौता करने वाले किसी भी प्रकार के रोजगार में प्रवेश की आयु 18 वर्ष से कम नहीं होगी।
बाल श्रम उन्मूलन हेतु भारत द्वारा किए गए प्रयास
  • भारत सरकार द्वारा बाल श्रम (निषेध एवं विनियम) अधिनियम, 1986 अधिनियमित किया गया है और इसका सफलतापूर्वक क्रियान्वयन भी किया जा रहा है। वर्ष 2011 में हाथियों की देखभाल एवं सर्कस में बाल श्रम को प्रतिबंधित किया गया। अभी भारत में कुल 18 व्यवसाय, 65 गतिविधियां बाल श्रम अधिनियम, 1986 के अंतर्गत प्रतिबंधित हैं। वर्ष 1987 में नेशनल चाइल्ड लेबर प्रोजेक्ट (NCLP) प्रारंभ किया गया। इसके अंतर्गत बाल श्रमिकों को रोजगार से हटाकर विशेष स्कूलों में नामांकित किया जा रहा है, जहां उन्हें औपचारिक शिक्षण तंत्र में आने से पूर्व प्रशिक्षित किया जाता है। इसके अतिरिक्त 1 अप्रैल, 2010 से 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार कानून लागू किया गया।
  • 30 जुलाई, 2016 को बाल श्रम अधिनियम (1986) में संशोधन करके 14 वर्ष से कम आयु के बालकों को ऑटोमोबाइल वर्कशाप, बीड़ी-निर्माण, कॉरपेट, बुनाई, हैंडलूम एवं पॉवरलूम और खदानों में काम करने से प्रतिबंधित कर दिया गया। 14-18 वर्ष की आयु के बच्चों को एक अन्य नाम ‘किशोर’ (Adolescent) दिया गया।
बाल श्रम का निकृष्टतम् रूपों के उन्मूलन हेतु अभिसमय, 1999
  • जून, 1999 में आईएलओ द्वारा अपनाया गया यह अभिसमय बाल श्रम के निकृष्टतम् रूपों के उन्मूलन हेतु आवश्यक निषेध एवं तत्काल कार्यवाही से संबंधित है। यह अभिसमय 19 नवंबर, 2000 को प्रभावी हुआ। इस अभिसमय में 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों को बालक (Child) की श्रेणी में रखा गया है। इस अभिसमय के अनुसार, बाल श्रम के निकृष्टतम् रूप निम्न हैं-
  • (1) दासता या इसके समकक्ष सभी गतिविधियां जैसे-बच्चों की खरीद-फरोख्त और तस्करी, ऋण बंधन एवं बलात् श्रम तथा सशस्त्र संघर्ष हेतु बच्चों की अनिवार्य भर्ती।
  • (2) पोर्नोग्राफी या अश्लील कार्यक्रम या वेश्यावृत्ति के लिए बच्चों का उपयोग या खरीद या पेशकश।
  • (3) अवैध गतिविधियों विशेषकर अंतरराष्ट्रीय संधियों द्वारा परिभाषित ड्रग्स के उत्पादन एवं तस्करी के लिए बच्चों का उपयोग या खरीद या पेशकश।
  • (4) ऐसा कार्य जिसमें चाहे कार्य की प्रकृति या परिस्थितिवश बच्चों के स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं नैतिकता की क्षति होने की संभावना है।
अभिसमय एवं भारत में विधायन
  • भारत में बंधुआ उन्मूलन अधि. 1976, अनैतिक तस्करी निवारण अधि. 1956, नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंसेज एक्ट, 1985 और बाल श्रम (निवारण एवं विनियम) अधि. 1986 के द्वारा उपर्युक्त दोनों अभिसमयों के तत्सम उपबंध बनाए गए थे। परंतु इन अधिनियमों में आवश्यक संशोधनों के उपरांत ही भारत इन दोनों अभिसमयों का अनुमोदन करने की स्थिति में आ पाया है।
अनुमोदन की आवश्यकता
  • इन अभिसमयों के अनुमोदन से बाल श्रम उन्मूलन के भारतीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रावधानों में एकरूपता आएगी। स्थायी विकास लक्ष्य वर्ष 2030 के अनुसार, बाल श्रम उन्मूलन महत्वपूर्ण लक्ष्य है, और इन अभिसमयों का अनुमोदन करने के बाद इनके प्रावधानों का पालन करना भारत के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी होगा। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की कुल आबादी की 29 प्रतिशत जनसंख्या 14 वर्ष से कम आयु वर्ग की है, जबकि 14-18 वर्ष की आयु वर्ग का कुल आबादी में 10 प्रतिशत योगदान है। इतनी बड़ी आबादी के हिस्से को जनांकिकीय लाभ में बदलने हेतु अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रावधानों का भारत में भी लागू होना एक महत्वपूर्ण कदम है।