Saturday, 1 April 2017

सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल से BS-III वाहनों की बिक्री पर लगाई रोक।

बीएस के मायने एमिशन स्टैंडर्ड से है। बीएस यानी भारत स्टेज से पता चलता है कि आपकी गाड़ी कितना प्रदूषण फैलाती है। बीएस के जरिए ही भारत सरकार गाड़ियों के इंजन से निकलने वाले धुएं से होने वाले प्रदूषण को रेगुलेट करती है। बीएस मानक सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड तय करता है। देश में चलने वाली हर गाड़ियों के लिए बीएस का मानक जरूरी है।
देश में चिंताजनक स्तर तक बढ़ चुके वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए बीएस-5 के बजाय अप्रैल 2020 तक बीएस-6 उत्सर्जन मानकों को लागू करने का निर्णय लिया है। भारत में अभी कारें बीएस-4 उत्सर्जन मानकों पर चलती हैं। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सरकार ने इसके लिए कुछ समय पहले ही अंतिम तारीख 2021 की तय की थी और अब इसे एक साल पहले ही लागू करने का निर्णय लिया गया है। इससे पहले सरकार द्वारा गठित समिति ने 2024 से बीएस-6 मानकों को लागू किए जाने की सिफारिश की थी।
फिलहाल पूरे उत्तर भारत में बीएस-4 ईंधन की आपूर्ति होती है, जबकि देश के अन्य हिस्सों में अब भी भारत स्टेज-3 ग्रेड का ही इस्तेमाल हो रहा है। पूरे भारत में भारत स्टेज-4 मानक 2017 से लागू करने का सरकार का प्रस्ताव था। अब सरकार ने निर्णय लिया है कि स्टेज 5 को अपनाने के बजाय भारत सीधे स्टेज-6 को अपनाएगा। भारत स्टेज-6 यूरो-6 उत्सर्जन मानकों के बराबर है।
सरकार द्वारा भारत स्टेज-5 को छोड़ 2020 से सीधे भारत स्टेज-6 मानक लागू करने के निर्णय का एक बड़ा कारण यह भी है कि भारत स्टेज-5 और भारत स्टेज-6 ईंधन में सल्फर की मात्रा बराबर होती है। जहां भारत स्टेज-4 ईंधन में 50 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) सल्फर होता है, वहीं भारत स्टेज-5 व 6 दोनों तरह के ईंधनों में सल्फर की मात्रा 10 पीपीएम ही होती है।